Inspiring Short Story for Kids in HIndi
आज ही क्यों नहीं ?
एक बार की बात है , कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर – सम्मान किया करता था ! गुरु भी अपने शिष्य से बहुत स्नेह करते थे ! लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था ! सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था !
अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे ,कि कही उनका यह शिष्य जीवन – संग्राम में पराजित न हो जाये ! आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है ! ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोप्भोग की कामना करता है ! वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता है !
यहाँ तक की अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है ! और न भाग्य द्वारा प्रदत सुअवसरों का का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पाता है ! उन्होंने मन ही मन शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली !
एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरूजी ने कहा – ” मैं तुम्हे यह जादुई पत्थर का टुकड़ा , दो दिन के लिए देकर , कही दूसरे गांव जा रहा हूँ ! जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे , वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जाएगी ! पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात् मैं इसे तुमसे वापस ले लूंगा !”
शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ ! लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते – करते बिता दिया ! कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न , सुखी , समृद्ध और संतुष्ट रहेगा ! इतने नौकर चाकर होंगे कि उसे पानी पिने के लिए भी नहीं उठना पड़ेगा !
फिर दूसरे दिन जब वह प्रातः काल जागा , उसे अच्छी तरह से स्मरण था, कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है ! उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा किये गए काले पत्थर का लाभ जरूर उठाएगा !
उसने निश्चय किया कि वो बाजार से लोहे के बड़े – बड़े सामान खरीद कर लाएगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा ! दिन बीतता गया पर वह इसी सोच में बैठा रहा कि अभी तो बहुत समय है , कभी भी बाजार जाकर सामान लेता आएगा ! उसने सोचा कि अब तो दोपहर का भोजन करने के पश्चात् ही सामान लेने निकलूंगा !
पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी ! और उसने बजाय उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा ! पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नींद की गहराइयों में खो गया और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था !
अब वह जल्दी – जल्दी बाजार की तरफ भागने लगा , पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों में गिरकर , उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा ! लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर – चूर हो गया ! पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी !
उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा ! वह समझ गया की आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुरायेगा और एक कर्मठ सजग और सक्रीय व्यक्ति बन कर दिखायेगा !
Moral of The Story :- दोस्तों Inspiring Short Story For Kids in Hindi कहानी से हमें यह सीख मिलती है की जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते है , पर कई लोग इन्हे बस अपने आलस्य के कारण गवां देते है !
इसलिए मै यही कहना चाहता हूँ, कि यदि आप सफल , सुखी, भाग्यशाली , धनी अथवा महान बनना चाहते है तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर , अपने अंदर विवेक , कष्टसाध्य श्रम , और सतत जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये ,और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वय से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ” !
Related Post :-
- सफलता का रहस्य !
- Motivational Short Story in Hindi – अवसर की पहचान !
- बच्चो की 3 शिक्षाप्रद कहानियां !
Sabaasaanhai.com एक हिंदी Motivational ब्लॉग है ! इस ब्लॉग में रेगुलर प्रेरणादायक Stories, Biography, Quotes प्रस्तुत होगी ! सफल और आसान लाइफ जीने के लिए क्या जरुरी है ! लाइफ में कोनसा कदम हमें ऊंचाइयों पर ले जायेगा ! ऐसी कहानिया जो पढ़कर लाइफ में कुछ करने का मन हो , ऐसी मोटिवेशनल कहानिया बताई जाएगी ! जिस वजह से आप कभी भी कामयाब होने की उम्मीद नहीं छोड़ेंगे और success के साथ जुड़े रहेंगे !