sacche mitra panchtantra story in hindi ! सच्चे मित्र पंचतंत्र की कहानी

            सच्चे मित्र पंचतंत्र की कहानी

Sacche Mitra Panchtantra Story in Hindi 

दोस्तों आज हम एक ऐसी कहानी प्रस्तुत कर रहे है जो की हमारे लिए एक प्रेरणा बन सकती है ! तो चलिए दोस्तों शुरू करते है आज की कहानी   – 

Panchtantra Story in Hindi –

  बहुत समय पहले की बात है ! एक सुन्दर हरे – भरे वन में चार मित्र रहते थे ! उनमे से एक था चूहा , दूसरा कौआ , तीसरा हिरण और चौथा कछुआ ! अलग – अलग जाती के होने के बावजूद उनमे बहुत घनिष्टता थी ! चारो एक – दूसरे पर जान छिड़कते थे ! चारो घुल – मिलकर रहते , खूब बाते करते और खेलते ! वन में एक निर्मल जल का सरोवर था , जिसमे वह कछुआ रहता था ! सरोवर के तट के पास ही एक जामुन का बड़ा पेड़ था ! उसी पर बने अपने घोसले में कौआ रहता था !

पेड़ के निचे जमीन में बिल बनाकर चूहा रहता था और निकट ही घनी झाड़ियों में हिरण का बसेरा था !

 दिन को कछुआ तट के रेत में धुप सेकता रहता था और पानी में डुबकिया लगाता रहता था ! बाकी तीन  मित्र भोजन की तलाश में निकल पड़ते और दूर तक घूमकर सूर्यास्त के समय लौट आते ! चारो मित्र इकट्ठे होते , एक दूसरे के गले लगते , खेलते और मस्ती करते !

एक दिन शाम को चूहा और कौआ तो लौट आये , परन्तु हिरण नहीं लौटा ! तीनो मित्र बैठकर उसकी राह देखने लगे ! उनका मन खेलने को भी नहीं हुआ ! कछुआ भर्राये गले से बोला ” वह तो रोज तुम दोनों से पहले लौट आता था !

आज पता नहीं , क्या बात हो गयी , जो अब तक नहीं आया ! मेरा तो दिल डूबा जा रहा है ! “चूहे ने चिंतित स्वर में कहा “हाँ , बात बहुत गंभीर है ! जरूर वह किसी मुसीबत में पड़ गया है !

अब हम क्या करे ?” कौए ने ऊपर देखते हुए अपनी चोंच खोली ” मित्रो , वह जिधर चरने प्रायः जाता है , उधर में उड़कर देख आता , पर अँधेरा घिरने लगा है ! निचे कुछ नजर नहीं आएगा !

हमें सुबह तक प्रतीक्षा करनी होगी ! सुबह होते ही में उड़कर जाऊंगा और उसकी कुछ खबर लाकर तुम्हे दूंगा ! “

कछुए ने सिर हिलाया ” अपने मित्र की कुशलता जाने बिना रात को नींद कैसे आएगी ? दिल को चैन कैसे पड़ेगा ? मै तो उस और अभी चल पड़ता हूँ मेरी चल भी बहुत धीमी है तुम दोनों सुबह आ जाना !

” चूहा बोला मुझसे भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठा जायेगा ! में भी कछुए भाई के साथ चल पद सकता हूँ , कौए भाई तुम तो पौ फटते ही चल पड़ना !” 

कछुआ और चूहा तो चल दिए ! कोए ने रात आँखों – आँखों में काटी ! जैसे ही पौ फटी , कौआ उड़ चला उड़ते – उड़ते चारो और नजर डालता जा रहा था !

आगे एक स्थान पर कछुआ और चूहा जाते उसे नजर आये कौए ने कांव – कांव करके उन्हें सुचना दी कि उन्हें देख लिया है और वह खोज में आगे जा रहा है ! अब कौए ने हिरण को पुकारना भी शुरू किया “मित्र हिरण तुम कहा हो ? आवाज दो मित्र !” 

तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी ! स्वर उसके मित्र हिरण का सा था ! उस आवाज की दिशा में उड़कर वह सीधा उस जगह पहुंचा , जहा हिरण एक शिकारी के जाल में फंसा छटपटा रहा था !

हिरण  ने रोते  हुए बताया कि कैसे एक निर्दयी शिकारी ने वहा जाल बिछा रखा था ! दुर्भाग्यवश वह जाल नहीं देख पाया और फंस गया ! हिरण सबका

” शिकारी आता ही होगा वह मुझे पकड़कर ले जायेगा और मेरी कहानी ख़त्म समझो ! मित्र कौए ! तुम चूहे और कछुए को भी मेरा अंतिम नमस्कार कहना !” 

कौआ बोला ” मित्र , हम जान की बाजी लगाकर भी तुम्हे छुड़ा लेंगे !”

हिरण ने निराशा व्यक्त कि ” लेकिन तुम ऐसा कैसे कर पाओगे ” कौए ने पंख फड़फड़ाये “सुनो में अपने मित्र चूहे को पीठ पर बिठा कर ले आता हूँ ! वह अपने पैने दांतो से जाल कुतर देगा !” हिरण को आशा की किरण दिखाई दी !

उसकी आंखे चमक उठी ” तो मित्र , चूहे भाई को शीघ्र ले आओ !”  कौआ उड़ा और तेजी से वहा पंहुचा , जंहा कछुआ तथा चूहा आ पहुंचे थे !

कौए ने समय नष्ट किये बिना बताया “मित्रो, हमारा मित्र हिरन एक दुष्ट शिकारी के जाल में कैद है ! जान की बाजी लगी है शिकारी के आने से पहले हमने उसे न छुड़ाया तो वह मारा जायेगा !” कछुआ हकलाया “उसके लिए हमें क्या करना होगा ?

जल्दी बताओ ?” चूहे के तेज दिमाग ने कौए का इशारा समझ लिया था ” घबराओ मत ! कौए भाई , मुझे अपनी पीठ पर बैठा कर हिरण के पास ले चलो !”

चूहे को जाल कुतरकर हिरण को मुक्त करने में अधिक देर नहीं लगी ! मुक्त होते ही हिरण ने अपने मित्रो को गले लगा लिया और रुंधे गले से उन्हें धन्यवाद दिया !

तभी कछुआ भी वहां आ पंहुचा और ख़ुशी के आलम में शामिल हो गया ! हिरण बोला “मित्र आप भी आगये ! मै भाग्यशाली हूँ , जिसे ऐसे सच्चे मित्र मिले है !”

चारो मित्र भाव विभोर होकर ख़ुशी में नाचने लगे ! एकाएक, हिरण चौका और उसने मित्रो को चेतावनी दी “भाइयो देखो वह जालिम शिकारी आ रहा है ! तुरंत छिप जाओ !” चूहा फ़ौरन पास के बिल में घुस गया !

कौआ उड़कर पेड़ की ऊँची डाल पर जा बैठा ! हिरण एक ही छलांग में पास की झाड़ी में जा गुसा व् ओझल हो गया ! 

परन्तु मंद गति का कछुआ दो कदम भी न जा पाया था कि शिकारी आ धमका !

उसने जाल को कटा देखकर अपना माथा पीटा ” क्या फंसा था और किसने कांटा ?” यह जानने के लिए वह पैरो के निशाने के सुराग ढूंढने के लिए इधर – उधर देख ही रहा था कि उसकी नजर रेंगकर जाते कछुए पर पड़ी !

उसकी आंखे चमक उठी ” वाह ! भागते चोर की लंगोटी ही सही ! अब यह कछुआ मेरे परिवार के आज के भोजन के काम आएगा !”

 बस उसने कछुए को उठाकर अपने थैले में डाला और जाल समेटकर चलने लगा ! कौए ने तुरंत हिरण व् चूहे को बुलाकर कहा “मित्रो , हमारे मित्र कछुए को शिकारी थैले में डालकर ले जा रहा है !” चूहा बोला हमें अपने मित्र को छुड़ाना चाहिए लेकिन कैसे ?”  इस बार हिरण ने समस्या का हल  सुझाया

” मित्रो हमें चाल चलनी होगीं !  मै लंगड़ाता हुआ शिकारी के आगे से निकलूंगा ! मुझे लंगड़ा जान वह मुझे पकड़ने के लिए कछुए वाला थैला छोड़ मेरे पीछे दौड़ेगा ! मै उसे दूर ले जाकर चकमा दूंगा ! इस बीच चूहा भाई थैले को कुतरकर कछुए को आजाद कर देंगे ! बस ” 

योजना अच्छी थी लंगड़ाकर चलते हिरण को देखकर शिकारी की बांछे खिल गयी ! वह थैला पटककर हिरण के पीछे भगा ! हिरण उसे लंगड़ाने का नाटक कर घने वन की और ले गया और फिर चौकड़ी भरता ‘यह जा वह जा ‘ हो गया !

शिकारी दांत पिसता रह गया ! अब कछुए से ही काम चलाने का इरादा बनाकर लौटा तो उसे थैला खली मिला ! उसमे छेद बना हुआ था ! शिकारी मुँह लटकाकर खाली हाथ घर लौट गया !

Panchtantra Story in Hindi-Moral of The Story : सच्चे मित्र हो तो जीवन में मुसीबतो का आसानी से सामना किया जा सकता है ! दोस्तों Panchtantra Story in Hindi /सच्चे मित्र पंचतंत्र की कहानी आपको कैसी लगी ! अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करे ! धन्यवाद !

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