नेताजी सुभाष चन्द्र बोस निबंध -Subhash Chandra Bose Information In Hindi

Subhash Chandra Bose Information In Hindi – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जीवन परिचय

Subhash Chandra Bose Essay In Hindi –  हेल्लो दोस्तों कैसे है आप ! आज के इस लेख में हम बात करेंगे उस महान शख्सियत के बारे में जिन्होंने भारत देश की आजादी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ! जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है “ तुम मुझे खून दो , मै तुम्हे आजादी दूंगा “ का प्रसिद्ध नारा देने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ! जिन्होंने अंग्रेजो को भारत से निकालने के लिए अपने दम पर आजाद हिन्द फोज की स्थापना की ! आज इस लेख के माध्यम से हम उनके महान जीवन – परिचय ( Subhash Chandra Bose Information ) के बारे में विस्तार से जानेंगे ! तो आइये शुरू करते है –  Subhash Chandra Bose Biography In Hindi / Subhash Chandra Bose Essay In Hindi –

 

नाम ( Name )     सुभाष चन्द्र बोस / Subhash Chandra Bose
जन्म ( Born )   23 जनवरी , 1897 , कटक , उड़ीसा
पिता का नाम ( Father’s Name )जानकीनाथ बोस
ता का नाम ( Mother’s Name ) प्रभावती देवी
नारा ( Slogan )   “तुम मुझे खून दो , मै तुम्हे आजादी दूंगा”
उपलब्धियां ( Achievements )  भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित , कांग्रेस के अध्यक्ष , आजाद हिन्द फोज की स्थापना तथा देश की आजादी में अहम् योगदान !
मृत्यु ( Death )      18 अगस्त , 1945

 

Subhash Chandra Bose Biography In Hindi / Subhash Chandra Bose Essay In Hindi / Subhash Chandra Bose Information In Hindi

 

सुभाष चन्द्र बोस : प्रारंभिक जीवन ( Subhash Chandra Bose Ealier Life )

सुभाष चन्द्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में 23 जनवरी , 1897 को एक शिक्षित और सम्पन्न परिवार में हुआ था ! उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था , जो कि अपने ज़माने के एक प्रख्यात वकील थे , तथा वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे ! उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था ! प्रभावती देवी एक सती और धार्मिक प्रवृति की महिला थी ! जानकीनाथ और प्रभावती की 14 संताने थी जिनमे 6 बेटियां और 8 बेटे थे , जिनमे सुभाष नवे नंबर के बेटे थे ! सुभाष शुरू से ही मेधावी छात्र रहे थे ! वे पढने में अन्य छात्रों की अपेक्षा अधिक होनहार थे !

 

सुभाष चन्द्र बोस : शिक्षा ( Subhash Chandra Bose Education )

बचपन से ही सुभाष पढाई में काफी होशियार और होनहार विद्यार्थी थे ! अपने शहर कटक में ही उन्होंने प्राइमरी शिक्षा उतीर्ण की ! इसके बाद उन्होंने 1909 में रेवेनशा कोलेजियेट स्कुल में दाखिला लिया ! उस स्कुल के प्रिंसिपल के विचारो का सुभाष के मन पर गहरा असर पड़ा ! उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में विवेकानंद साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था ! सुभाष ने 1915 में अपनी इन्टरमिडीएट की परीक्षा उतीर्ण की ! 1919 में उन्होंने दर्शनशास्त्र में बी. ए . ( ऑनर्स ) की डिग्री पूरी की !

इसके बाद सुभाष ने सेना में भर्ती होने का प्रयास किया लेकिन उनकी आंखे ख़राब होने की वजह से उनका चयन सेना में नहीं हो सका ! इसके बाद वे अपने परिवार की इच्छा के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने हेतु इंग्लेंड चले गए ! सबसे कठिन मानी जाने वाली भारतीय प्रशासनिक परीक्षा को उन्होंने 1920 में न केवल पास किया बल्कि चोथा स्थान भी हासिल किया ! इसके बाद जलियावाला बाग़ में हुए नरसंहार से सुभाष काफी दुखी हुए और उन्होंने 1921 में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था !

 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल

इसके बाद सुभाष भारत वापस लौट आये ! भारत आने के बाद वे गांधीजी के संपर्क में आये और भारतीय राष्ट्रियं कांग्रेस में शामिल हो गए ! गाँधी जी के निर्देशों के अनुसार उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम किया ! जल्दी ही सुभाष अपनी मेहनत और सूझ – बुझ से कांग्रेस के बड़े नेताओ में शामिल हो गए !

 

कारावास

 एक बार सुभाष कोलकाता में 26 जनवरी , 1931 को राष्ट्र ध्वज फहराकर एक विशाल मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे, उसी दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने उस पर लाठिय चलाई जिससे वे घायल हो गए और उन्हें जेल भेज दिया गया ! सुभाष के जेल में रहने के दौरान गांधीजी ने अंग्रेज सरकार से कोई समझोता किया जिससे अंग्रेज सरकार ने सुभाष और उनके साथियों को जेल से रिहा कर दिया गया ! सुभाष को अपने जीवनकाल में 11 बार जेल में जाना पड़ा !

लेकिन सुभाष को सबसे ज्यादा दुःख तब हुआ जब सुभाष और उनके साथियों को तो रिहा कर दिया गया था , लेकिन भगतसिंह और उनके साथियों को रिहा नहीं किया गया था , और अंग्रेज सरकार द्वारा उनको फांसी दे दी गई थी ! सुभाष के अनुसार यदि गांधीजी चाहते तो भगत सिंह व् उनके साथियों को बचा सकते थे लेकिन गांधीजी ने ऐसा नहीं किया ! इस बात से सुभाष गांधीजी से काफी नाराज हो गए थे !

 

कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा

1938 में गांधीजी की सिफारिस पर ही सुभाष को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था , लेकिन सुभाष और गांधीजी के विचारो में मेल नहीं होने के कारण गांधीजी उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना चाहते थे ! 1939 में जब कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने का समय आया तो सुभाष चाहते थे की पार्टी से कोई ऐसा व्यक्ति अध्यक्ष बने जो किसी के आगे झुके नहीं , किसी से दबे नहीं और स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ाते रहे ! परन्तु पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं होने की वजह से सुभाष खुद ही अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहते थे ! लेकिन गांधीजी ऐसा नहीं चाहते थे ! आखिर उन दोनों में कुछ बात न बनते देख सुभाष ने 29 अप्रैल 1939 को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया !

 

आजाद हिन्द फोज का गठन

जनवरी 1941 में सुभाष बाबु अपने घर से फरार होकर अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुँचने में कामयाब हो गए ! उन्होंने अंग्रेजो को भारत छोड़ने हेतु जर्मनी और जापान से मदद मांगी ! उसी दौरान उन्होंने वहा ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की ! वहा पर रहते हुए जर्मनी सरकार के एक मंत्री एडम फौं उनके काफी अच्छे दोस्त बन गए थे ! 1942 में सुभाष ने रेडियो बर्लिन से प्रसारण शुरू किया जिससे भारत के लोगो में जोश और उत्साह बढ़ा !

इसके बाद वह 1943 में जर्मनी से सिंगापूर आये , फिर पूर्वी एशिया पहुंचकर रास बिहारी बोस से ‘स्वतंत्रता संग्राम’ की कमान अपने हाथ में ले ली और “आजाद हिन्द फोज” का गठन किया ! इसी दौरान सुभाष ने “ तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा भी दिया ! इसके बाद सुभाष को लोग नेताजी कहने लग गए !

 

सुभाष चन्द्र बोस : मृत्यु ( Subhash Chandra Bose Death )

सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को ताईवान में हो गयी थी ! परन्तु सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु अभी भी एक रहस्य ही माना जाता है क्योंकि जब उनका विमान दुर्घटना ग्रस्त हुआ था तब उस दुर्घटना का किसी को कोई साक्ष्य नहीं मिला था ! अतः इनकी मृत्यु आज भी एक विवाद का विषय है !

 

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