Panchtantra Story Three Fishes in Hindi – पंचतंत्र की कहानी तीन मछलियां

दोस्तों आज हम प्रस्तुत कर रहे है Panchtantra Story Three Fishes in Hindi जो की एक Moral  कहानी है !

   

Panchtantra Story Three Fishes in Hindi / पंचतंत्र की कहानी तीन मछलियां 

एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक जलाशय था ! जलाशय  में पानी गहरा होता है , इसलिए उसमे कई सारे मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते है ! ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते है ! उसी में तीन मछलियों का झुण्ड रहता था ! उनके स्वभाव भी भिन्न थे ! उसमे अन्ना नाम की मछली संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास  रखती थी !

प्रत्यु कहती थी की संकट आने पर ही उससे बचने का प्रयत्न करो ! मीता का सोचना था की संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार है ! मीता का मानना था की करने कराने  से कुछ नहीं होता है जो किस्मत में लिखा है , वह होकर रहेगा !

एक दिन शाम को मछुआरे नदी में मछलिया पकड़कर घर जा रहे थे ! बहुत कम मछलिया उनके जालो में फंसी थी ! अतः उनके चेहरे उदास थे ! तभी उन्हें झाड़ियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का झुण्ड जाता हुआ दिखाई दिया ! सबकी चोंच में मछलिया दबी थी ! वे ये दृश्य देखकर चौक गए !

एक ने अनुमान लगाया “दोस्तों! लगता है झाड़ियों के पीछे नदी से जुड़ा जलाशय है , जहाँ इतनी सारी मछलिया पल  रही है !”

मछुआरे पुलकित होकर झाड़ियों में से होकर जलाशय के तट पर आ निकले और ललचाई नजर से मछलियों को देखने लगे ! एक मछुआरा बोला “अहा ! इस जलाशय में तो मछलिया भरी पड़ी है ! आज तक हमें इसका पता ही नहीं लगा !”  “यहाँ हमें ढेर सारी मछलिया मिलेगी !

” दूसराबोला ! तीसरे ने कहा “आज तो शाम घिरने वाली है ! कल सुबह ही आकर यहाँ जाल डालेंगे !” इस प्रकार मछुआरे दूसरे दिन का कार्यक्रम तय करके चले गए ! तीनो मछलियों ने मछुआरे की बातो को सुन लिया था !

अन्ना मछली ने कहा ” साथियो ! तुमने मछुआरे की बात सुन ली ! अब हमारा यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है
खतरे की सुचना हमें मिल गई है समय रहते अपनी जान बचाने का उपाय करना चाहिए ! मै तो अभी ही इस जलाशय को छोड़कर नहर के रास्ते नदी में जा रही हु ! उसके बाद मछुआरे सुबह आये , जाल फेके , मेरी बला से ! तब तक में तो बहुत दूर अटखेलिया कर रही होउंगी !

प्रत्यु मछली बोली ” तुम्हे जाना है तो जाओ , में तो  नहीं आ रही ! अभी खतरा आया कहाँ है , जो इतना घबराने की जरुरत है ! हो सकता है की संकट आये ही नहीं ! उन मछुआरे का यहाँ आने का कार्यक्रम रद्द भी हो सकता है , हो सकता है रात को उनके जाल चूहे कुतर जाये , हो सकता है उनकी बस्ती में आग  लग जाए !

भूचाल आकर उनके गांव को नष्ट कर सकता है या रात को मूसलाधार वर्षा आ सकती है और बाढ़ में उनका गांव बह सकता है ! इसलिए उनका आना निश्चित नहीं है ! जब वह आएंगे , तब की तब सोचेंगे ! हो सकता है मै उनके जाल में ही न फंसु !

मीता ने अपनी भाग्यवादी बात कही ” भागने से कुछ नहीं होने वाला है ! मछुआरों को आना है तो वह आएंगे ! हमें जाल में फसना है तो हम फसेंगे ! किस्मत में मरना ही लिखा है  तो क्या किया जा सकता है ?”

इस प्रकार अन्ना तो उसी समय वहा से चली गयी ! प्रत्यु और मीता जलाशय में ही रही ! भोर हुई तो मछुआरे अपने जाल को लेकर आये और लगे जलाशय में जाल फेकने और मछलियां पकड़ने ! प्रत्यु ने संकट को आये देखा तो लगी जान बचाने के उपाय सोचने !

उसका दिमाग तेजी से काम करने लगा ! आस – पास छिपने के लिए कोई खोखली जगह भी नहीं थी ! तभी उसे याद आया की उस जलाशय में काफी दिनों से एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश तैरती रही है ! वह उसके बचाव के काम आ सकती है ! जल्दी ही उसे वह लाश मिल गई !

लाश सड़ने लगी थी ! प्रत्यु लाश के पेट में घुस गई और और सड़ती लाश की सड़ांध अपने ऊपर लपेटकर बाहर निकली ! कुछ ही देर में मछुआरे के जाल में प्रत्यु फंस गई ! मछुआरे ने अपना जाल खींचा और मछलियों को किनारे पर जाल से उलट दिया !

बाकी मछलिया तो तड़पने लगी , परन्तु प्रत्यु  दम साधकर मरी हुई मछली  की तरह पड़ी रही ! मछुआरे को सड़ांध का भभका लगा तो मछलियों को देखने लगा ! उसने निस्चल पड़ी प्रत्यु को उठाया और सुंघा “आंक !

यह तो कई दिनों से मरी मछली है ! सड़ चुकी है !” ऐसे बड़बड़ाकर बुरा सा मुँह बनाकर उस मछुआरे ने प्रत्यु को जलाशय में फेक दिया !

प्रत्यु अपनी बुद्धि का प्रयोग कर संकट से बच निकलने में सफल हो गई थी ! पानी में गिरते ही उसने गौता लगाया और सुरक्षित गहराई में पहुंचकर जान की खैर मनाई !

मीता भी दूसरे मछुआरे की जाल में फंस गई थी और एक टोकरे में डाल दी गई थी ! भाग्य के भरोसे रहने वाली मीता ने उसी टोकरी में अन्य मछलियों की तरह तड़प – तड़पकर प्राण त्याग दिए !

 Panchtantra Story Three Fishes in Hindi
कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भाग्य के भरोसे हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहने वाले का विनाश निश्चित है !



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