भगवद्गीता छठा अध्याय ( ध्यानयोग ) अर्थ सहित | Bhagwat Geeta Chapter 6 In Hindi
भगवद्गीता छठा अध्याय ( ध्यानयोग ) अर्थ सहित | Bhagwat Geeta Chapter 6 In Hindi श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ! स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः !! १ !! भावार्थ : भगवान श्री कृष्ण कहते है – जो पुरुष अपने कर्मफल के प्रति अनासक्त है और जो अपने कर्तव्य का … Read more