बेशकीमती फूलदान – तेनालीराम की कहानी 

Beshkimti Fooldaan Tenaliraman Story in Hindi – बेशकीमती फूलदान तेनालीराम की कहानी 

Beshkimti Fooldaan Tenaliraman ki Kahani / Beshkimti Fooldaan Tenaliraman Story in Hindi  – हर वर्ष की भांति विजयनगर का वार्षिक उत्सव बहुत ही धूमधाम से बनाया जाता था। इस वार्षिक उत्सव में आसपास के राज्य के राजा विजयनगर के महाराज के लिए बेशकीमती उपहार लेकर आते थे !

हर बार की तरह इस बार भी महाराज को बहुत अच्छे – अच्छे  उपहार मिलें। सारे उपहार में महाराज को रत्नजड़ित रंग – बिरंगे चार फूलदान बहुत ही पसंद आए।

सभी राजाओ द्वारा दिए गए उपहार को महाराज ने अपने कक्ष में रखवाया ! और उसकी देखभाल के लिए एक सेवक भी रख लिया ! उस सेवक का नाम रमैया था ! सेवक रमैया बहुत ही ध्यान से उन फूलदानों की रखवाली करता था !

क्योंकि उसे ये काम सौंपने से पहले ही बता दिया गया था कि अगर उन फूलदानों को कोई भी नुकसान पहुंचा तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।

एक दिन रमैया बहुत ही सावधानी से उन फूलदानों की सफाई कर रहा था कि अचानक उसके हाथ से एक फूलदान छूटकर ज़मीन पर गिरकर टूट गया!

जैसे ही उस उपहार के टूट जाने की सुचना महाराज को पता चली !  तो उन्होंने सेवक रमैया को चार दिन बाद फांसी पर चढ़ाने का हुक्म अपने सैनिको को दिया !

सेवक रमैया को महाराज द्वारा फांसी पर चढ़ाने की सुचना तेनालीराम को मिली ! तेनालीराम महाराज के पास आया और बोला, “महाराज एक फूलदान के टूट जाने पर आप अपने इतने पुराने और विश्वसनीय सेवक को मृत्युदंड कैसे दे सकते हैं ? ये तो सरासर नाइंसाफी है।”

परन्तु महाराज उस समय बहुत ही गुस्से में थे, इसलिए उन्होंने तेनालीराम की बात पर विचार करना ज़रूरी नहीं समझा।

जब महाराज नहीं समझे तो तेनालीराम रमैया के पास गया और उससे बोला, “ तुम चिंता मत करो।अब मैं जो कहूँ तुम उसे ध्यान से सुनना और फांसी से पहले तुम वैसा ही करना। मैं यकीन दिलाता हूँ कि तुम्हें कुछ नहीं होगा।”

रमैया ने तेनालीराम की सारी बात बड़े ही ध्यान से सुनी और बोला ,“मैं ऐसा ही करूँगा।” फांसी का दिन आ गया। फांसी के समय महाराज भी वहाँ उपस्थित थे। फांसी देने से पहले रमैया से उसकी अंतिम इच्छा जानी   गई।

तब रमैया बोला,” महाराज मैं एक बार बचे हुए तीन फूलदानों को एक बार देखना चाहता हूँ!

जिनकी वजह से मुझे फांसी पर लटकाया जा रहा हैं।” रमैया की अंतिम इच्छा के अनुसार महाराज ने उन तीन फूलदानों को लाने का आदेश दिया।

अब जैसे ही फूलदान रमैया के सामने आए तो उसने तेनालीराम के कहे अनुसार तीनों फूलदानों को ज़मीन पर गिराकर तोड़ दिया। रमैया के फूलदान तोड़ते ही महाराज गुस्से से आग-बबूला हो गए और चिल्लाकर बोले,

“ ये तुमने क्या किया आखिर तुमने इन्हें क्यों तोड़ डाला।” रमैया बोला, “महाराज आज एक फूलदान टूटा हैं तो मुझे फांसी दी जा रही हैं। ऐसे ही जब ये तीनों भी टूटेंगे तो तीन और लोगों को मृत्युदंड दिया जाएगा।

मैंने इन्हें तोडकर तीन लोगों की जान बचा ली हैं ! मै नहीं चाहता की इन फूलदानों की वजह से किसी और निर्दोष व्यक्ति की जान  जाए ! क्योंकि फूलदान इंसानों की जान से ज्यादा कीमती नहीं हो सकता।”

रमैया की बात सुनकर महाराज का गुस्सा शांत हो गया और उन्होंने रमैया को भी छोड़ दिया।

फिर उन्होंने रमैया से पूछा, “ तुमने ये सब किसके कहने पर किया था।” रमैया ने सब सच-सच बता दिया। तब महाराज ने तेनालीराम को अपने पास बुलाया और बोले,

“ आज तुमने एक निर्दोष की जान बचा ली और हमें भी यह बतला दिया कि गुस्से में लिए गए फैसले हमेशा गलत होते हैं। तेनालीराम तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।”

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