बिहारी के 30 + दोहे ! Bihari Ke Dohe In Hindi With their Meanings
हेल्लो दोस्तों आज के इस लेख में हम सत्साई बिहारीलाल जी के दोहे अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहे है उम्मीद करते है यह आपको जरुर पसंद आएंगे ! तो आइये शुरू करते है – Bihari Ke Dohe In Hindi With their Meanings
Bihari Ke Dohe In Hindi and English
-1-
लिखन बैठी जाकी सबी गहि गहि गरब गरूर !
भए न केते जगत के , चतुर चितेरे कूर !!
अर्थ : नायिका के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते है कि नायिका के सौन्दर्य का चित्रांकन करने घमंडी और अभिमानी चित्रकार आये लेकिन उन सबका अभिमान चूर – चूर हो गया ! कोई भी उसके सौन्दर्य का वास्तविक चित्रण नहीं कर पाया क्योंकि पल – पल उसका सौन्दर्य बढ़ता ही जा रहा था !
In English : Describing the beauty of the heroine, Bihari ji says that arrogant and arrogant painters came to portray the beauty of the heroine, but their pride was shattered! No one could really portray her beauty because her beauty was increasing day by day.
-2-
दृग उरझत , टूटत कुटुम , जुरत चतुर – चित प्रीति !
परिति गांठी दुर्जन – हिये , दई नई यह रीती !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि प्रेम की रीती अनूठी है ! इसमें उलझते तो नयन है , पर परिवार टूट जाते है , प्रेम की यह रीती नई है इससे चतुर प्रेमियों के चित अर्थार्त मन तो जुड़ जाते है पर दुष्टों के ह्रदय में गांठ पड़ जाती है !
In English : Bihari ji says that the way of love is unique! If you get entangled in this, there is a new, but families are broken, this method of love is new, it connects the mind of clever lovers, but there is a knot in the heart of the wicked.
-3-
कब को टेरत दीन है , होत न स्याम सहाय !
तुम हूँ लागी जगत गुरु , जगनायक जग बाय !!
अर्थ : बिहारी जी भगवान श्री कृष्ण से कहते है कि हे कान्हा मै कब से तुम्हे व्याकुल होकर पुकार रहा हूँ और तुम हो कि मेरी पुकार को सुनते ही नहीं हो ,मानो की आप भी जैसे संसार की भाती स्वार्थी हो गए हो !
In English : Bihari ji says to Lord Shri Krishna that O Kanha, since when have I been calling you out of trouble and you are that you do not even listen to my call, as if you too have become selfish like the world.
-4-
कोटि जतन कोऊ करे , परे न प्रकृतिहिं बीच !
नल बल ऊँचो चढ़े , तऊ नीच को नीच !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि कोई भी इन्सान कितना भी प्रयास क्यों न कर ले , लेकिन किसी दुसरे इन्सान का स्वभाव नहीं बदल सकता ! जैसे नल में पानी ऊपर की तरफ जाता है लेकिन फिर भी उसका है कि वह बहता निचे की तरफ ही है !
In English : Bihari ji says that no matter how much effort a person makes, but the nature of another person cannot be changed. Like the water in a tap goes upwards but still its that it flows downwards.
-5-
नीकी लागि अनाकनी , फीकी परी गोहारी !
तज्यो मनो तारन बिरद , बारक बारनि तारि !!
अर्थ : बिहारी जी श्री कृष्ण से कहते है कि कान्हा शायद तुम्हे भी अनदेखा करना अच्छा लगने लगा है या फिर मेरी भक्ति फीकी पड़ गई है , मुझे लगता है कि हाथी को तरने के बाद तुमने अपने भक्तो कि मदद करना छोड़ दिया है !
In English : Bihari ji tells Shri Krishna that Kanha may have started liking ignoring you too or my devotion has faded, I think you have stopped helping your devotees after taming the elephant.
-6-
मेरी भववाधा हरो , राधा नागरि सोय !
जा तन की झाई परे स्याम हरित दुति होय !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि मेरी सभी बाधाए राधा जी दूर करेगी ! जिनके शरीर की छाया पड़ते ही सांवले कृष्ण हरे रंग अर्थार्त प्रसन्नचित हो जाते है ! अर्थार्त मेरे दुखो का हरण वही चतुर राधा जी करेगी !
In English : Bihari ji says that Radha ji will remove all my obstacles. As soon as the shadow of his body falls, dark Krishna becomes green, that is, happy. That is, the same clever Radha will remove my sorrows.
-7-
चिरजीवो जोरी जुरे , क्यों न स्नेह गंभीर !
को घटि ये वृषभानुजा , वे हलधर के बीर !!
अर्थ : यह राधा कृष्ण की सुन्दर जोड़ी चिरंजीवी हो एक बैल की पुत्री है और दूसरा जोतने वाले का भाई इनमे गहरा प्रेम होना चाहिए !
In English : This beautiful pair of Radha Krishna is Chiranjeevi, one is the daughter of a bull and the other is the brother of the tiller, there should be deep love in them.
-8-
मै ही बोरी विरह बस , कै बौरो सब गाँव !
कहा जानि ये कहत है , ससिहिं सितकर नांव !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि मुझे लगता है कि मै पागल हूँ या फिर पूरा गाँव ! मेने बहुत बार सुना है और सभी लोग कहते है कि चंद्रमा शीतल है लेकिन तुलसीदास के दोहे के अनुसार माता सीता ने इस चंद्रमा से कहाँ था कि मै यहाँ विरह की आग में जल रही हूँ यह देखकर ये अग्निरूपी चंद्रमा भी आग की बारिश नहीं करता !
In English : Bihari ji says that I think I am mad or the whole village! I have heard many times and everyone says that the moon is cool, but according to Tulsidas’ couplet, where was Mother Sita from this moon, seeing that I am burning here in the fire of separation, even this fire moon does not rain fire.
-9-
गिरि तै ऊँचे रसिक –मन बूढ़े जहाँ हजारू !
बहे सदा पसु नरनु कौ प्रेम – पयोधि पगारु !!
अर्थ : पर्वत से भी ऊँची रसिकता वाले प्रेमी जन प्रेम के सागर में हजार बार डूबने के बाद भी उसकी थाह नहीं ढूंढ पाए , वही नर – पशुओ को अर्थार्त अरसिक प्रवृति के लोगो को वो प्रेम का सागर छोटी खाई के समान प्रतीत होता है !
In English : The lovers of love higher than the mountain, even after drowning a thousand times in the ocean of love, could not find its fathom, to the same male-animals, that is, to the people of Arsik tendency, that ocean of love seems like a small abyss.
-10-
अंग – अंग नग जगमत , दीपसिखा सी देह !
दिया बढाए हू रहे , बड़ो उज्यारो गेह !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भांति जगमगा रहा है , उसका तन दीपक की शिखा की भांति झिलमिलाता है अतः दिया बुझा देने पर भी घर में उजाला बना रहता है !
In English : Bihari ji says that every part of the heroine is shining like a gem, her body shimmers like the crest of a lamp, so even after extinguishing the lamp, there remains light in the house.
-11-
कहलाने एकत बसत अहि मयूर , मृग बाघ !
जगतु तपोवन सौ कियो दीरघ दाघ निदाघ !!
अर्थ : इस दोहे में कवि ने भरी दोपहरी से बेहाल जंगली जानवरों की दशा के बारे में बताया है ! भीषण गर्मी से बेहाल जानवर एक ही स्थान पर बेठे है ! मोर और सांप एक साथ बेठे है ! हिरण और बाघ एक साथ बेठे है ! कवि को लगता है कि गर्मी के कारण जंगल किसी तपोवन की तरह हो गया है ! जैसे तपोवन में विभिन्न इन्सान आपसी द्वेषो को भुलाकर एक साथ बैठते है ! इसी तरह ये सभी जानवर भी आपसी मतभेदों को भुलाकर एक साथ बेठे है !
In English : In this couplet, the poet has told about the condition of wild animals suffering from the heavy afternoon. Animals suffering from the scorching heat are sitting in one place. Peacock and snake are sitting together! Deer and Tiger are sitting together! The poet feels that the forest has become like a tapovan due to the heat. Like in Tapovan, different people forget mutual hatred and sit together. Similarly, all these animals have also sat together forgetting their differences.
-12-
सोहत ओढे पितु पटु स्याम , सलौने गात !
मनो नीलमनी सैल पर आतपू परयो प्रभात !!
अर्थ : इस दोहे में बिहारी जी ने श्री कृष्ण के सांवले शरीर की सुन्दरता का वर्णन किया है ! कवि का कहना है कि कृष्ण के सांवले शरीर पर पिला वस्त्र ऐसी शोभा दे रहा है , जैसे नीलमणि पहाड़ पर सुबह की सूरज की किरणे पड़ रही है !
In English : In this couplet, Bihari ji has described the beauty of the dark body of Shri Krishna. The poet says that the yellow cloth on the dark body of Krishna is giving such a beautification, as the morning sun is falling on the sapphire mountain.
-13-
या अनुरागी चित की , गति समुझै नहि कोई !
ज्यो – ज्यो डूबे स्याम रंग , त्यों – त्यों उज्जलु होई !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि इस अनुरागी चित की गति कोई नहीं समझ सकता ! इस चित पर जैसे – जैसे श्याम रंग चढ़ता है , वैसे – वैसे यह उज्जला होता जाता है !
In English : Bihari ji says that no one can understand the speed of this loving mind. As the black color rises on this mind, in the same way it becomes bright.
-14-
काजर दे नहि ए री सुहागिन !
आँगुरी तो री कटेगी गंडासा !!
अर्थ : हे सुहागन तुम काजल मत लगाओ , कही तुम्हारी ऊँगली तुम्हारे गंडासे जैसी आंख से कट न जाए !
In English : Oh sweetheart, don’t apply kajal, your finger may not be cut off from your eye like a ruffian.
-15-
सतसइया के दोहरा ज्यो नावक के तीर !
देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर !!
अर्थ : सतसई के दोहे वैसे ही है , जैसे नावक के तीर है ! ये देखने में छोटे लगते है , लेकिन इनमे बड़ी अर्थपूर्ण बाते छिपि हुई है !
In English : The couplets of Satsai are like the arrows of a sailor. They look small, but they have great meaning hidden in them.
-16-
मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल !
यही बानिक मो मन बसों सदा बिहारीलाल !!
अर्थ : हे कृष्ण तुम्हारे सिर पर मोर मुकुट हो , तुम पिली धोती पहने रहो , तुम्हारे हाथ में मुरली हो और तुम्हारे गले में माला हो ! इसी तरह हे कृष्ण तुम मेरे मन में बसे रहो !
In English : O Krishna, have a peacock crown on your head, wear a yellow dhoti, a flute in your hand and a garland around your neck. Similarly, O Krishna, you remain in my mind.
-17-
मेरी भववाधा हरो , राधा नागरि सोया !
जा तन की झाई परे स्याम हरित दुति होय !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि हे राधा तुम्हारे शरीर की छाया पड़ने से तो कृष्ण भी खुश हो जाते है ! इसलिए तुम मेरी परेशानियों को दूर करो !
In English : Bihari ji says that oh Radha, if the shadow of your body falls, even Krishna becomes happy. So you take away my troubles.
–18-
बतरस लालच लाल की , मुरली धरी लुकाय !
सोह करे , भौहन हसे , देन कहे नटी जाय !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि गोपियों ने कृष्ण की मुरली छिपा दी है , और कृष्ण के मुरली मांगने पर वे उनसे प्रेम करती है ! भोहे से आपस में इशारे करती है ! कृष्ण के बहुत बोलने पर वो मुरली लौटने को तैयार हो जाती है , लेकिन वापस मुरली को छुपा लेती है !
In English : Bihari ji says that the gopis have hidden Krishna’s murli, and they fall in love with Krishna when he asks for his murli. They gesture with each other with an iron! After Krishna speaks a lot, she agrees to return the murli, but hides the murli back.
-19-
कहति नटति रीझति खिझती , मिलति खिलति लजि जात !
भरे भोन में होत है , नैनन ही सो बात !!
अर्थ : नायिका नायक से बात करती है , नाटक करती है , रीझति है , नायक से थोडा खिझती है ! वह नायक से मिलती है , ख़ुशी से खिल जाती है , और शरमा जाती है ! भारी महफ़िल में नायक और नायिका के बीच में आँखों से ही बाते होती है !
In English : The heroine talks to the hero, pretends, likes it, gets a little annoyed with the hero! She meets the hero, blossoms with joy, and blushes! In a heavy gathering, between the hero and the heroine, only the eyes talk.
-20-
जपमाला , छापे , तिलक सरे न एको कामु !
मन कांचे नाचे बृथा , सांचे रांचे रामु !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि माला जपने से , माथे पर तिलक लगाने से या हजार बार राम – राम लिखने से कुछ नहीं होता है ! इन सब के बदले यदि सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाए तो वह ज्यादा सार्थक होता है !
In English : Bihari ji says that nothing happens by chanting a garland, applying tilak on the forehead or writing Ram-Ram a thousand times! Instead of all this, if God is worshiped with a sincere heart, then it becomes more meaningful.
-21-
प्रगट भय द्विजराज कुल , सुबस बसे ब्रज आई !
मेरे हरी कलेस सब , केसव केसवराई !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि श्री कृष्ण ने स्वयं ही ब्रज में चन्द्रवंश में जन्म लिया था अर्थार्त अवतार लिया था ! बिहारी के पिता का नाम केशवराय था ! इसलिए वे कहते है कि हे कृष्ण आप तो मेरे पिता समान है इसलिए मेरे सारे कष्ट को दुरे कीजिये !
In English : Bihari ji says that Shri Krishna himself had taken birth in Braj in the Chandravansh, that is, took an incarnation. Bihari’s father’s name was Keshavarai. That’s why they say that O Krishna, you are like my father, so take away all my troubles.
-22-
बैठी रही अति सघन बन , पैठी सदन तन मांह !
देखि दुपहरी जेठ की छाहो चाहति छांह !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि जेठ के महीने की गर्मी इतनी तेज होती है कि छाया भी छाह ढूंढने लगती है ! ऐसी गर्मी में छाया भी कही नजर नहीं आती ! वह या तो कही घने जंगल में बेठी होती है या फिर किसी के घर के अन्दर !
In English : Bihari ji says that the heat of the month of Jeth is so strong that even the shadow starts looking for shade. Even a shadow is not to be seen in such heat! She is either sitting in a dense forest somewhere or inside someone’s house.
-23-
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाई !
सौह करे भोह्नु हँसे , देन कहे नटी जाई !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि गोपियों ने कृष्ण की मुरली इसलिए छिपा ली ताकि उन्हें कृष्ण से बात करने का मौका मिल जाए ! साथ में गोपियाँ कृष्ण के सामने नखरे भी दिखा रही है ! वे अपनी भोहो से तो कसमे खा रही है लेकिन उनके मुह से तो ना ही निकलता है !
In English : Bihari ji says that the gopis hid Krishna’s murli so that they would get a chance to talk to Krishna. Along with this, the gopis are also showing tantrums in front of Krishna. She is swearing with her lips, but it does not come out of her mouth.
-24-
जौ चाहत चटक न घटे , मैलो होई न मित !
रज राजसु न छुवाई , तौ नेह – चिकनी !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि मनुष्य यदि तुम चाहते हो की तुम्हारे मन की उज्ज्वलता कभी कम ना हो और तुम्हारा मन कभी दुखी ना हो तो प्रेम रूपी तेल से चिकने मन पर क्रोध , अहंकार आदि रजोगुणी धुल का स्पर्श नहीं होने देना !
In English : Bihari ji says that human beings, if you want that the brightness of your mind should never diminish and your mind should never be sad, then do not let the dust of anger, ego etc.
-25-
बसे बुराई जासु तन , ताहि कौ सनमानू !
भलौ भलौ कहि छोडिये , खोंटे गृह जपु दानु !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि जिस मनुष्य के शरीर में बुराइयाँ बसती है अर्थार्त जो मनुष्य लोगो के साथ दुष्टता का व्यवहार करता है और उनका नुकसान करता है और लोगो से द्वेष की भावना रखता है इस संसार में उसी का सम्मान होता है ! क्योंकि जिस तरह इस समाज के लोग अच्छे गृह को अच्छा कहकर वैसे ही छोड़ देते है , किन्तु जो गृह उनका अहित कर सकता है , उस गृह की शांति के लिए दान – धर्म और जप आदि कराते है !
In English : Bihari ji says that the person in whose body evils reside, that is, the person who treats people with wickedness and harms them and has a feeling of hatred towards people, he is respected in this world. Because just as the people of this society leave a good house as good, but the house which can harm them, for the peace of that house, they do charity, religion and chanting.
-26-
नर की अरु नल – नीर की गति एकै करि जोई !
जेतो निचो हवे चले तेतो ऊँचो होई !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि मनुष्य और नल के जल की स्थिति एक समान होती है ! जिस तरह नल का जल जितना निचे रहता है , और जब नल को चलाया जाता है तो वह जल उतना ई ऊपर चढ़ता है !
In Hindi : Bihari ji says that the condition of man and tap water is the same. Just as the water in the tap stays low, and when the tap is turned on, that water rises up.
-27-
दुसह दुराज प्रजानु को क्यों न बढे दुःख – दंदु !
अधिक अंधेरो जग करे मिल मावस रवि चंदू !!
अर्थ : बिहारी जी इस दोहे में कहते है कि यदि किसी राज्य में दो राजा शासन करेंगे तो उस राज्य की जानता को दोहरा दुःख क्यों नहीं बढेगा ? क्योंकि जब एक ही राज्य में दो राजा होंगे तो उस राज्य की प्रजा को दोनों राजाओ की आज्ञा का पालन करना पड़ेगा ! दोनों राजाओ के लिए सुख सुविधाओ की व्यवस्था करनी पड़ेगी ! यह वैसे ही है जैसे अमावस्या की तिथि को सूर्य और चंद्रमा एक ही राशी में मिलकर सम्पूर्ण संसार को और अधिक अंधकारमय कर देते है !
In English : Bihari ji says in this couplet that if two kings rule in a state, then why will the knowledge of that state not get double sorrow? Because when there are two kings in the same state, then the subjects of that state will have to obey the orders of both the kings. Arrangements will have to be made for comfort facilities for both the kings. It is just like the Sun and the Moon coming together in the same zodiac on the new moon day, making the whole world more dark.
-28-
गतु जान्यो जिहि सकलु सो हरि जान्यो नाहि !
ज्यो आन्खिनु सबु देखिये आखि न देखि जाहि !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि वे अपने आराध्य , जिसने उनको सम्पूर्ण जगत का ज्ञान कराया है , उसके बारे में जान ले ! आगे बिहारी जी कहते है कि भगवान ने तुम्हे मनुष्य बनाकर इस संसार में भेजा है , तुमने उस ईश्वर को जाना ही नही है !
In English : Bihari ji says that he should know about his beloved, who has given him the knowledge of the whole world. Further Bihari ji says that God has sent you to this world by making you a human being, you have not even known that God.
-29-
मोर – मुकुट की चंद्रिकनु , यो राजत नन्द नन्द !
मनु ससि शेखर की अकस , किय सेखर सत चंद !!
अर्थ : इस दोहे में राधा जी श्री कृष्ण के सौन्दर्य पर मुग्ध होकर , श्रीकृष्ण के मस्तक पर शोभायमान मयूर पंख की तुलना चंद्रमा से करते हुए अपने मन की स्थिति का वर्णन अपनी सखी से करती है और कहती है कि , भगवान शिव जी के मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित होकर उनकी आभा को बढाता है और वे अत्यंत सुन्दर प्रतीत होते है ! इसलिए भगवान शिव से भी अधिक सुन्दर लगने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने मस्तक पर मयूर पंख रूपी सेकड़ो चंद्रमाओ को धारण कर लिया है !
In English : In this couplet, Radha ji, being enchanted by the beauty of Shri Krishna, comparing the beautiful peacock feather on the head of Shri Krishna with the moon, describes the state of her mind with her friend and says that, the moon adorns the head of Lord Shiva. It enhances their aura and they look very beautiful. Therefore, in order to look more beautiful than Lord Shiva, Shri Krishna has worn hundreds of moons in the form of peacock feathers on his head.
-30-
सोहत ओढे पीत पट , स्याम सलोने गात !
मानो नीलमणि सैल पर आपत परयो प्रभात !!
अर्थ : राधा जी अपनी सखी से कहती है कि जिस प्रकार नीलमणि पर्वत पर प्रातः काल की सूर्य की किरणे पड़ने पर नीलमणि पर्वत सुशोभित हो उठता है , और अलौकिक प्रतीत होता है , उसी प्रकार श्रीकृष्ण अपने सांवले सुन्दर शरीर पर पीले वस्त्रो को धारण किये हुए अत्यंत सुंदर लग रहे है !
In English : Radha ji tells her friend that just as the Sapphire mountain becomes adorned when the sun’s rays fall on the Neelamani mountain in the morning, and appears supernatural, similarly Shri Krishna wearing yellow clothes on his dark beautiful body is very beautiful. Looks like.
-31-
तौ लगु या मन – सदन मै , हरि आवे कीन्हि बाट !
विकट जटे निपट , खुटै न कपट – कपाट !!
अर्थ : बिहारी जी कहते है कि जिस प्रकार घर का दरवाजा बंद होने पर उसमे कोई तब प्रवेश नहीं कर सकता जब तक की दरवाजा नहीं खोला जाये , उसी प्रकार मनुष्य जब तक अपने मन के छल एवं कपट रूपी दरवाजे को हमेशा के लिए नहीं खोल देता है ! तब तक मनुष्य के मन रूपी घर में भगवान प्रवेश नहीं कर सकते है !
In English : Bihari ji says that just as when the door of the house is closed, no one can enter it until the door is opened, in the same way man does not open the door of his mind as deceit and deceit forever. Till then God cannot enter the house of man’s mind.
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