Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi – सुभद्रा कुमारी चौहान की सुन्दर कविताये
Subhadra Kumari Chauhan – सुभद्रा कुमारी चौहान को एक प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका के रूप में सभी जानते है ! उन्होंने बहुत सी सुन्दर कविताओं की रचना की है और हिंदी जगत में उन्होंने अपना बहुमूल्य योगदान दिया है ! आज हम यहाँ उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताओं को प्रस्तुत करेंगे !
Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi -1
जीवन फूल
मेरे भोले मुर्ख ह्रदय ने ,
कभी न इस पर विचार किया !
विधि ने लिखी भाल पर मेरे ,
सुख की घडिया दो ही चार !!
छलती रही सदा ही ,
मृगतृष्णा सी आशा मतवाली !
सदा लुभाया जीवन साकी ने ,
दिखला रीती प्याली !!
मेरी कलित कामनाओ की ,
ललित लालसाओं की धूल !
आँखों के आगे उड़ – उड़ करती है ,
व्यथित हृदय में शूल !!
उन चरणों की भक्ति भावना ,
मेरे लिए हुई अपराध !
कभी न पूरी हुई अभागे ,
जीवन की भोली सी साध !!
मेरी एक – एक अभिलाषा ,
का कैसा ह्रास हुआ !
मेरे प्रखर पवित्र प्रेम का ,
किस प्रकार उपहास हुआ !!
मुझे न दुःख है ,
जो कुछ होता हो उसको हो जाने दो !
निठुर निराशा के झोको को ,
मनमानी कर जाने दो !!
हे विधि इतनी दया दिखाना ,
मेरी इच्छा के अनुकूल !
उनके ही चरणों पर ,
बिखरा देना मेरा जीवन – फूल !!
Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi -2
स्वदेश के प्रति
आ , स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ ,
स्वागत करती हूँ तेरा !
तुझे देखकर आज हो रहा ,
दूना प्रमुदित मन मेरा !!
आ , उस बालक के समान ,
जो है गुरुता का अधिकार !
आ , उस युवक – वीर सा जिसको ,
विपदाएं ही है प्यारी !!
आ , उस सेवक के समान तू ,
विनय – शील अनुगामी सा !
अथवा आ तू युद्ध क्षेत्र में ,
कीर्ति – ध्वजा का स्वामी सा !!
आशा की सुखी ललिताये ,
तुझको पा , फिर लहराई !
अत्याचारी की कृतियों को ,
निर्भयता से दरसाई !!
Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi -3
समर्पण
सुखी सी अधखिली कली है ,
परिमल नहीं , पराग नहीं !
किन्तु कुटिल भोरो के चुम्बन ,
का है इन पर दाग नहीं !!
तेरी अतुल कृपा का बदला ,
नहीं चुकाने आयी हूँ !
केवल पूजा में ये कलियाँ ,
भक्ति – भाव से लाई हूँ !!
प्रणय – जल्पना चिन्त्य – कल्पना ,
मधुर वासनाये प्यारी !
मृदु – अभिलाषा , विजयी आशा ,
सजा रही थी फुलवारी !!
किन्तु गर्व का झोक आया ,
यद्पि गर्व वह था तेरा !
उजड़ गयी फुलवारी सारी ,
बिगड़ गया सबकुछ मेरा !!
बची हुई स्मृति की ये कलियाँ ,
मै समेत कर लाई हूँ !
तुझे सुझाने , तुझे रिझाने ,
तुझे मनाने आयी हूँ !!
प्रेम – भाव से हो अथवा हो ,
दया – भाव से ही स्वीकार !
ठुकराना मत , इसे जानकर ,
मेरा छोटा सा उपहार !!
Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi -4
मेरा गीत
जब अंतस्तल रोता है ,
कैसे कुछ तुम्हे सुनाऊ ?
इन टूटे से तारो पर ,
मै कौन तराना गाउ ??
सुन लो संगीत सलोने ,
मेरे हिय की धड़कन में !
कितना मधु – मिश्रित रस है ,
देखो मेरी तड़पन में !!
यदि एक बार सुन लोगे ,
तुम मेरा करुण तराना !
हे रसिका ! सुनोगे कैसे ?
फिर और किसी का गाना !!
कितना उन्माद भरा है ,
कितना सुख इस रोने में ?
उनकी तस्वीर छिपी है ,
अंतस्तल के कोने में !!
मै आंसू की जयमाला ,
प्रतिपल उनको पहनाती !
जपति हु नाम निरंतर ,
रोती हूँ अथवा गाती !!
Subhadra Kumari Chauhan Short Poems in Hindi -5
मेरे पथिक
हठीले मेरे भोले पथिक ,
किधर जाते हो आकस्मात !
अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ ,
सोच तो लो आगे की बात !!
यहाँ के घात और प्रतिघात ,
तुम्हारा सरस ह्रदय सुकुमार !
सहेगा कैसे ? बोलो पथिक ,
सदा जिसने पाया है प्यार !!
जहाँ पद – पद पर बाधा खड़ी ,
निराशा का पहिरे परिधान !
लांछना दरवायेगी वहां ,
हाथ से लेकर कठिन कृपाण !!
चलेगी अपवादों की लूह ,
झुलस जावेगा कोमल गात !
विकलता के पलने में झूल ,
बिताओगे आँखों में रात !!
विदा होगी जीवन की शांति ,
मिलेगी चिर – सहचरी अशांति !
भूल मत जाओ मेरे पथिक ,
भुलावा देती तुमको भ्रान्ति !!
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