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Short Essay on Holi Festival in Hindi- होली पर निबंध
Short Essay on Holi Festival in Hindi – होली रंगो का एक प्रसिद्ध त्यौहार है जो हर साल फाल्गुन के महीने में भारत के लोगो द्वारा बड़ी ख़ुशी के साथ मनाया जाता है ! होली हिंदुंओ का एक प्रसिद्ध त्यौहार है ! ये ढेर सारी मस्ती और आनंद का त्यौहार है !
खास तौर से बच्चो के लिए जो होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक रंगो की मस्ती में डूबे रहते है !हिन्दू धर्म के लोगो द्वारा इसे पुरे भारत वर्ष में मार्च के महीने में मनाया जाता है खासतौर से उत्तर भारत में !
सालो से भारत में होली मनाने के पीछे कई सारी कहानियां और पौराणिक कथाये है ! इस उत्सव का अपना महत्व है ! हिन्दू मान्यताओं के अनुसार होली का पर्व बहुत समय पहले प्राचीन काल से मनाया जा रहा है ! जब होलिका अपने भाई के पुत्र को मारने के लिए आग में लेकर बैठी और खुद ही उसमे जल गई !
उस समय एक राजा था हिरण्यकश्यप जिसका पुत्र प्रह्लाद था और वो उसको मारना चाहता था ! क्योंकि हिरण्यकश्यप चाहता था की वह उसकी पूजा करे ! जबकि प्रह्लाद भगवन विष्णु का परम भक्त था !
इसी वजह से हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा !जिसमे भक्त प्रह्लाद तो बच गया और होलिका जल गई !
जबकि उसकी ये योजना भी असफल हो गई ! क्योंकि वह भगवान् विष्णु का भक्त था ! इसलिए प्रभु ने उसकी रक्षा की ! इस षड्यंत्र में होलिका की मृत्यु हो गई और प्रह्लाद बच गया !
उसी समय से हिन्दू धर्म के लोग इस त्यौहार को मना रहे है ! होली के दिन होलिका का दहन होता है ,जिसमे लकड़ी , घास , और गाय के गोबर से बने ढेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इस आग में जलाता है !
जब होली का दहन किया जाता है तो सभी लोग चंग व् धमाल गाकर उसके चारो और चक्कर लगाते है तथा अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है !साथ ही अपनी सभी बुराइयों को इसमें भस्म करते है !
होलिका दहन की अगली सुबह के बाद लोग रंग – बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिए एक जगह इकठा हो जाते है ! इसकी तैयारी इसके आने से एक हफ्ते पहले ही शुरू हो जाती है !
फिर क्या बच्चे और क्या बड़े सभी बेसब्री से इसका इन्तजार करते है और इसके लिए ढेर सारी खरीददारी करते है ! यहाँ तक की वो एक हफ्ते पहले से ही अपने दोस्तों , पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे गुब्बारों से खेलना शुरू कर देते है !
इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग – गुलाल लगाते है! और साथ ही मजेदार पकवानो का आनंद लेते है !
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होलिका दहन की पौराणिक कथा :
पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान् के किसी अन्य को नहीं भजता है ! तो वह इससे क्रुद्ध हो उठा और अपनी बहन होलिका को अपने पास बुलाया ! जो की अग्नि से नहीं जलती थी क्योंकि ऐसा उसे वरदान प्राप्त था !
उन्होंने होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठा कर उसे भस्म कर दे ! क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था ! कि उसे अग्नि नुक्सान नहीं पंहुचा सकती !
किन्तु इस घटना से इस षड़यंत्र से भक्त प्रह्लाद तो बच गया ! और होलिका भस्म हो गई ! इसी घटना के कारण इस दिन होलिका दहन का विधान है ! होली का पर्व सन्देश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तो की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते है !
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