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Akbar Birbal Stories in Hindi – तंत्र मंत्र अकबर बीरबल की कहानियां
1. तन्त्र मन्त्र
एक बार कुछ कुछ दरबारियों ने महाराजा अकबर से कहा महाराज , आजकल बीरबल को ज्योतिष का शोक चढ़ा है ! कहता – फिरता है , मंत्रो से मे कुछ भी कर सकता हूँ !
तभी दूसरे दरबारी ने कान भरे – हाँ महाराज वहबहुत शेख़ी बघारता फिरता है ! हम तो परेशान हो गए उससे ! दरबार के काम मे जरा भी रुचि नहीं लेता !
राजा बोले – अच्छा , परखकर देखते है बीरबल के मंत्रो मे क्या दम – खम है ! यह कहते हुए राजा ने एक दरबारी से कहा – तुम अंगूठी छुपा लो ! आज इसी के बारे मे पूछेंगे !
तभी बीरबल दरबार मे आया राजा को प्रणाम कर अपनी जगह जा बेठा !
अकबर बोले बीरबल अभी – अभी मेरी अंगूठी कही गायब हो गई ! जरा पता लगाओ ! सुना है , तुम तन्त्र – मन्त्र से बहुत कुछ कर सकते हो !
बीरबल ने कनखियो से दरबारियों की और देखा ! वह समझ गया था की उसके विरुद्ध राजा के कान डटकर भरे गए है !कुछ सोचकर उसने कागज पर आड़ी – तिरछी रेखाए खीची ! फिरबोला – महाराज , आप इस पर हाथ रखे , अंगूठी जहां भी होगी , अपने आप अंगूठी मे आजायेगी!
राजा ने उस तन्त्र पर हाथ रख दिया ! तभी बीरबल चावल हाथ मे लेकर दरबारियों की और फेंकने लगा ! जिसके पास अंगूठी थी , वह सोचने लगा – कही सचमुच अंगूठी निकलकर राजा के पास न पहुँच जाए ! उसने कसकर जेब पर हाथ रख लिया !
बीरबल यह देख रहा था ! बोला महाराज , अंगूठी तो मिल गई ! लेकिन उस दरबारी ने कसकर पकड़ राखी है ! अकबर बीरबल का संकेत समझकर हंस पड़े ! उन्होने वह अंगूठी पुरस्कार मे बीरबल को दे दी ! चुगली करने वालो के सिर शर्म से झुख गए !
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Akbar Birbal Stories in Hindi-
2. स्वप्न
एक दिन किसी ब्राह्मण ने रात मे स्वप्न देखा की उसे सौ रुपए उधार अपने मित्र से मिले है , सवेरे जब नींद खुली तो उसका अच्छा या बुरा फल जानने की इच्छा हुई !
उसने अपने मित्रो मे बेठकर इस बात की चर्चा की धीरे – धीरे खबर बिजली कीतरह फैल गई , यहा तक की उस मित्र ने भी उस बात को सुना जिससे की ब्राह्मण ने स्वप्न मे सौ रुपए लिए थे !
उसका जी लालच मे हो गया ! उसने चाहा की किसी तरह ब्राह्मण से रुपया लेना चाहिए ! और वह उसके पास रुपया लेने पाहुच गया ! और कहने लगा की जो सौ रुपए उधार लिए थे , वह मुझे वापस दे दो !
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मुझको जरूरत है इसलिए आज तुम मेरे रुपए दे दो ! गरीब ब्राह्मण ने पहले तो सोचा की मित्र हंसी मज़ाक कर रहा है ! परंतु जब वह हाथा पाई करने को तैयार हुआ और डराया धमकाया तो ब्राह्मण के भी प्राण सूखने लगे !
बेचारा दिन भर मेहनत करता , तब उसको खाने को मिलता था , भर मे फूटी कोडी भी न थी ! सौ रुपए कहा से देता विवश हिम्मत बांध वो भी मित्र का सामना करने को खड़े हो गए ! अब तो मित्र के कान खड़े हो गए ! उन्हे ऐसा लग रहा था की ब्राह्मण डरकर रुपए दे देगा !
लेकिन जब उसको इस आशा पर पानी फिरता दिखाई दिया तो उसने ब्राह्मण को धमकी दे अपने घर का रास्ता लिया !
जाते – जाते वह कह गया की मै तुमसे रुपए जरूर वसूल कर लूँगा ! और गंवाही मे सब मित्रो तथा पड़ोसियो को उपस्थित करूंगा , जिसके सामने तुमने रुपया पाना स्वीकार किया है !
ब्राह्मण देवता करते क्या , उसे ईश्वर पर भरोसा था , उसी का नाम जपने लगे ! दूसरे दिन मित्र महाशय ने ब्राह्मण पर उधार रुपया लेने का अभियोग लगा कर दावा कर दिया ! न्यायाधीशों ने दोनों तरफ की बात ध्यान देकर सुनी !
लेकिन कोई फेसला न कर सके ! क्योंकि गवाहों ने स्वप्न मे रुपए लेना ब्राह्मण के द्वारा स्वीकार करना बतलाया ! सोच विचार कर न्यायाधीशों ने यह मामला बादशाह के पास भेज दिया !
बादशाह ने मामले पर अच्छी तरह गौर किया ! वह जानते हुए की मित्र सरासर दगाबाजी कर रहा है ! बादशाह को इस मामले को निबटाने की कोई तरकीब न सूझी तो लाचार होकर बादशाह ने बीरबल को बुलाया ! सब मामला समझा दिया गया की बेचारे ब्राह्मण को दगाबाज मित्र ठगना चाहता है !
इसका ऐसे तरीके से न्याय होना चाहिए की दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए !
बीरबल ने आज्ञा मानकर बड़ा सा दर्पण मंगवाया ! उसके बाद सौ रुपए उन्होने ऐसी होशियारी से रख दिये की दर्पण मे रुपयो की छाया देख सके !
जब रुपए दर्पण मे दिखने लगे तब बीरबल दगाबाज मित्र से बोले की जिस रुपए की छाया दिखती है उसे तुम ले लो !
मित्र महाशय ने अचम्भा जाहीर करते हुए कहा की यह कैसे ले सकता हूँ ,यह तो केवल रुपए की परछाई है ! मौका पाकर बीरबल बोले की ब्राह्मण ने भी तो तुमसे स्वप्न मे रुपया पाया था!
वह भी तो परछाई ही थी ! फिर तुम असली रुपया क्यो चाहते हो ! महोदयकी गार्डन झुक गई ! कुछ जवाब न बना तो लाचार होकर खाली हाथ चलने को तैयार हुए तो बीरबल बोले की आज तुमने ब्राह्मण को परेशान किया है , उसके कामो मे रुकावटडाली है अतः बिना सजा पाये यहा से न जा सकोगे !
बीरबल ने समझाकर उस दगाबाज को जुर्माने की सजा दी ! जो रकम जुर्माने की मिली वह उन्होने गरीब ब्राह्मण को हरजाने के रूप मे दे दी ! इसतरह गरीब ब्राह्मण हंसी खुसी घर वापस आया !
जिन्होने इस न्याय की खबर सुनी उन्होने बीरबल की प्रशंसा की ! तथा बादशाह तो बीरबल के इस न्याय से एकदम दंग रह गए !
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Akbar Birbal Stories in Hindi-
3. संगति का असर
बादशाह और बीरबल की आपस मे बाते हो रही थी की अचानक बीरबल के मुह से कोई अपशब्द निकल पड़ा ! बादशाह को बड़ा बुरा मालूम हुआ !वे बोले तुम्हें बोलने की तमीज नहीं रही , दिनोदिन बदतमीज होते जा रहे हो !
तब बीरबल बोले जहापनाह ? पहले तो ऐसा नहीं था ! लेकिन अब संगति से दोष आना तो स्वाभाविक ही है ! जवाब सुनकर बादशाह निरुतर हो गए !
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