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Best 3 Story of Gautam Buddha in Hindi
गौतम बुद्ध की 3 प्रेरणादायक कहानियां
Story of Gautam Buddha in Hindi – अछूत व्यक्ति
एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे हुए थे ! उन्हें इस प्रकार बैठे देख उनके शिष्यों के चिंता हुई की कही वे अस्वस्थ तो नहीं हो गए गए !
तभी कुछ दूर खड़ा व्यक्ति जोर से चिल्लाया , ‘आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई ?’
बुद्ध ने आंखे खोली और बोले , ‘नहीं वह अछूत है , उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती !’ यह सुन सभी शिष्यों को बड़ा आश्चर्य हुआ !
इस पर कई शिष्य बोले – हमारे धर्म में तो जात – पात का कोई भेद ही नहीं है ! फिर वह अछूत कैसे हो गया ?
बुद्ध ने कहा भी है – क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नियत से पकडे रहने के समान है ! इसमें आप ही जलते है !
Story of Gautam Buddha in Hindi –रेत का घर
Story of Gautam Buddha in Hindi – तीन गांठे
भगवान् बुद्ध अक्सर अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे ! एक दिन प्रातः काल बहुत भिक्षुक उनका प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे ! बुद्ध समय पर सभा में पहुंचे, पर आज शिष्य उन्हें देखकर चकित थे ! क्योंकि आज पहली बार वे अपने हाथ में कुछ लेकर आये थे ! करीब आने पर शिष्यों ने देखा कि उनके हाथ में रस्सी थी !
बुद्ध ने आसन ग्रहण किया और बिना किसी से कुछ कहे वे रस्सी में गांठे लगाने लगे !
वहां उपस्थित सभी लोग यह देख सोच रहे थे कि अब बुद्ध आगे क्या करेंगे !
तभी बुद्ध ने सभी से एक प्रश्न किया , “मेने इस रस्सी में तीन गांठे लगा दी है , अब मै आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या यह वही रस्सी है , जो गांठे लगाने से पूर्व थी ?”
एक शिष्य ने उत्तर में कहा , गुरूजी इसका उत्तर देना थोड़ा कठिन है ! ये वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर है ! एक दृष्टिकोण से देखे तो रस्सी वही है , इसमें कोई बदलाव नहीं आया है ! दूसरी तरफ से देखे तो अब इसमें तीन गांठे लगी हुई है जो पहले नहीं थी ! अतः इसे बदला हुआ कह सकते है !
पर ये बात भी ध्यान देने वाली है कि बाहर से देखने में भले ही बदली हुई प्रतीत हो पर अंदर से तो ये वही है जो पहले थी ! इसका बुनियादी स्वरुप अपरिवर्तित है !
‘सत्य है ! ‘, बुद्ध ने कहा , ‘अब में इन गांठो को खोल देता हूँ !’
यह कहकर बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक दूसरे से दूर खींचने लगे !
उन्होंने पूछा , ‘तुम्हे क्या लगता है , इस प्रकार इन्हे खींचने से क्या में इन गांठो को खोल सकता हूँ ?’
‘नहीं – नहीं , ऐसा करने से तो ये गांठे और भी कस जाएगी ! और इन्हे खोलना और भी मुश्किल हो जायेगा !’ एक शिष्य ने शीघ्रता से उत्तर दिया !
बुद्ध ने कहा , ‘ठीक है , अब एक आखिरी प्रश्न बताओ इन गाठो को खोलने के लिए हमें क्या करना होगा ?’
शिष्य बोला , ‘इसके लिए हमें इन गाठो को गौर से देखना होगा , ताकि हम जान सके की इन्हे कैसे लगाया गया था ! और फिर हम इन्हे खोलने का प्रयास कर सकते है !’
‘मै यही तो सुनना चाहता था ! मूल प्रश्न यही है कि जिस समस्या में तुम फंसे हो , वास्तव में उसका कारण क्या है ! बिना कारण जाने निवारण असंभव है ! मै देखता हूँ की अधिकतर लोग बिना कारण जाने ही निवारण करना चाहते है ! कोई मुझसे ये नहीं पूछता की मुझे क्रोध क्यों आता है , लोग पूछते है की मै अपने क्रोध का अंत कैसे करूँ ? कोई यह प्रश्न नहीं करता की मेरे अंदर अहंकार का बीज कहा से आया ! लोग पूछते है की मै अपना अहंकार ख़त्म कैसे करूँ ?
प्रिय शिष्यों जिस प्रकार रस्सी में गांठ लग जाने पर भी उसका बुनियादी स्वरुप नहीं बदलता उसी प्रकार मनुष्य में भी कुछ विकार आ जाने से अच्छाई के बीज ख़त्म नहीं होते ! जैसे हम रस्सी की गांठे खोल सकते है वैसे ही हम मनुष्य की समस्याएं भी हल कर सकते है !
इस बात को समझो की जीवन है तो समस्याएं भी होंगी ही , और समस्याएं है तो उसका समाधान भी अवश्य होगा ! आवश्यकता सिर्फ इस बात की है हम किसी भी समस्या के कारण को अच्छी तरह से ले !निवारण स्वतः ही प्राप्त हो जायेगा !’, महात्मा बुद्ध ने अपनी बात पूरी की !
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