रसखान के 15 + दोहे हिंदी अर्थ सहित – Raskhan Ke Dohe In Hindi
महाकवियो में रसखान का स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है ! रसखान भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे जिन्होंने अपने दोहों में कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को उजागर किया है ! रसखान का वास्तविक नाम सैयद इब्राहीम था , वह मुस्लिम होते हुए भी श्री कृष्ण के प्रिय भक्त थे ! उन्होंने अपने दोहों और काव्यो में भक्ति और श्रृंगार रस का बहुत ही सुंदर तरीके से चित्रण किया है ! दोस्तों आज के इस लेख में हम रसखान के दोहे अर्थ सहित प्रस्तुत करेंगे , उम्मीद करते है यह आपको बहुत पसंद आयेंगे ! तो आइये शुरू करते है Raskhan Ke Dohe In Hindi /Raskhan Ke Dohe In Hindi with Meaning
रसखान के 15 + दोहे हिंदी अर्थ सहित – Raskhan Ke Dohe In Hindi
-1-
देख्यो रुप अपार मोहन सुन्दर स्याम को !
वह ब्रज राजकुमार हिय जिय नैननि में बस्यो !!
अर्थ : इस दोहे में महाकवि रसखान जी कहते है कि ब्रज के राजकुमार भगवान श्री कृष्ण उनके हृदय , मन , मिजाज , जी , जान और आँखों में अपना स्थान बना कर बस गए है !
In English : In this couplet, the great poet Raskhan ji says that Lord Krishna, the prince of Braj, has settled down by making his place in his heart, mind, mood, soul, life and eyes.
-2-
मोहन छवि रसखानि लखि अब दृग अपने नाहि !
ऊँचे आबत धनुस से छुटे सर से जांहि !!
अर्थ : इस दोहे के माध्यम से रसखान जी कहते है कि भगवान श्री कृष्ण की सुन्दर छवि को देखने के बाद अब यह आंखे मेरी नहीं रह गई है जिस तरह धनुष से एक बार बाण निकल जाता है तो फिर वह वापस नहीं आता है !
In English : Through this couplet, Raskhan ji says that after seeing the beautiful image of Lord Shri Krishna, now these eyes are no longer mine, just as once the arrow leaves the bow, then it does not come back.
-3-
मन लीनो प्यारे चीते पे छटांक नहीं देत !
यहै कहा पाटी पढ़ी दल को पिछो लेत !!
अर्थ : इस दोहे में कवि रसखान वर्णन करते है कि अब उसके मन को उनके प्रियतम श्री कृष्ण ने ले लिया है लेकिन बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिला है ! आगे रसखान जी कहते है कि श्रीकृष्ण ने भी यही कहाँ है कि पहले अपना सर्वस्व उन्हें सोप दो फिर उसे कुछ मिलेगा !
In English : In this couplet, the poet Raskhan describes that now his mind has been taken by his beloved Shri Krishna, but he has not received anything in return. Further Raskhan ji says that where is Shri Krishna also that first give his all to him and then he will get something.
-4-
मो मन मानिक ले गयो चीते चोर नंदनंद !
अब बेमन मै क्या करू परि फेर के फंद !!
अर्थ : इस दोहे में रसखान जी कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उनके मन के माणिक्य रत्न को चुरा लिया है ! अब बिना मन के वह क्या करे ? वे तो भाग्य के फंदे के फेरे में पड़ गए है ! अब तो बिना समर्पण कोई उपाय नहीं रह गया है ! अर्थार्त जब उनका मन ही उसके प्रियतम श्रीकृष्ण के पास है तो वे पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित हो चुके है !
In English : In this couplet, Raskhan ji says that Lord Krishna stole the ruby from his heart. Now what does he do without a heart? They have fallen into the trap of fate. Now without surrender there is no solution! That is, when his mind is with his beloved Shri Krishna, then he has completely surrendered to him.
-5-
बंक बिलोचन हंसनि मुरि मधुर बैन रसखानि !
मिले रसिक रसराज दोउ हरखि हिये रसखानि !!
अर्थ : रसखान जी कहते है कि उनका ह्रदय तब बहुत ज्यादा आनंदित हो जाता है जब श्रीकृष्ण तिरछी नजरो से देखकर मुस्कुराते है और मीठी भाषा बोलते है ! अर्थार्त जब रसिक और रसराज कृष्ण मिलते है तब ह्रदय में आनंद का प्रवाह होने लगता है !
In English : Raskhan ji says that his heart becomes very happy when Shri Krishna smiles with a slanted look and speaks sweet language. That is, when Rasik and Rasraj Krishna meet, then joy starts flowing in the heart.
-6-
अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई !
बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !!
अर्थ : इस दोहे में रसखान जी गोपियों से कहते है – अरी अनुपम सुंदरी तुम नई नवेली गौना द्विरागमन कराकर ब्रिज में आई हो , क्या तुम्हे कन्हैया का सवभाव मालूम नहीं है ! अगर तुम घर से बाहर निकली तो वह तुम्हे अपने प्रेम जाल में फंसा लेगा !
In English : In this couplet, Raskhan ji says to the gopis – oh unique beauty, you have come to the bridge after getting a new guana dwiragam, don’t you know the nature of Kanhaiya! If you come out of the house, he will trap you in his love trap.
-7-
प्रीतम नन्द किशोर जा दिन तै नेननि लग्यो !
मन पावन चितचोर पत्रक ओट नहि सहि सकौ !!
अर्थ : रसखान जी कहते है कि जब से उसकी नजर उनके प्रियतम श्रीकृष्ण से मिली है तब से उसका मन परम पवित्र हो गया है और अब उसका मन और कही लगता भी नहीं है और हमेशा श्रीकृष्ण को देखने का उसका मन बना रहता है !
In English : Raskhan ji says that ever since he got his eyes from his beloved Shri Krishna, his mind has become supremely pure and now his mind does not seem to be anywhere else and always remains in his mind to see Shri Krishna.
-8-
या छवि पे रसखान अब वारो कोटि मनोज !
जाकी उपमा कविन नही पाई रहे कहूँ खोज !!
अर्थ : रसखान जी इस दोहे में वर्णन करते है कि श्री कृष्ण के अति सुन्दर रूप पर करोडो कामदेव न्योछावर है , वही उनकी तुलना विद्वान् कवि भी नहीं खोज पा रहे है ! कहने का तात्पर्य यह है कि श्री कृष्ण के सौन्दर्य रूप की तुलना करना संभव नहीं है !
In English : Raskhan ji describes in this couplet that crores of Cupid have been invited on the very beautiful form of Shri Krishna, even learned poets are not able to find his comparison! That is to say that it is not possible to compare the beauty of Shri Krishna.
-9-
जोहन नन्द कुमार को गई नन्द के गेह !
मोहि देखि मुसिकाई के बरस्यो मेह स्नेह !!
अर्थ : रसखान जी कहते है कि जब वे श्री कृष्ण से मिलने उनके घर गए यब उन्हें देखकर श्री कृष्ण इस तरह से मुस्कुराये जैसे मानो उनके स्नेह प्रेम की बारिश चारो तरफ होने लगी ! इसी के साथ कृष्ण का स्नेह रस हर तरफ से बरसने लगा !
In English : Raskhan ji says that when he went to meet Shri Krishna at his house, seeing him Shri Krishna smiled as if the rain of his affection and love started pouring all around. With this, the love of Krishna started pouring from all sides.
-10-
काग के भाग बड़े सनती !
हरि हाथ सौ ले गयो माखन रोटी !!
अर्थ : इस दोहे में रसखान जी कहते है कि वह कोआ बहुत भाग्यशाली है जो श्री कृष्ण के हाथो से माखन रोटी छीन कर ले गया ! प्रभु के हाथ से माखन रोटी लेने का सौभाग्य उस कौए का प्राप्त हुआ है !
In English : In this couplet, Raskhan ji says that the koa is very lucky who snatched the bread and butter from the hands of Shri Krishna. That crow has got the good fortune of taking butter and bread from the hands of the Lord.
-11-
काहू कहू रतियाँ की कथा बतियाँ कही आबत है न कछु री !
आई गोपाल लियो करि अंक कियो मन कायो दियो रसबुरी !!
अर्थ : रसखान जी कहते है कि रात की बात क्या कही जाए ! कोई बात कहने में नहीं आती है ! भगवान श्री कृष्ण न आकर मुझे अपनी गोद में भार लिया और मेरे साथ खूब मनमानी करने लगे ! इससे मेरे मन एवं शरीर में आनंद से रस का सरोबार हो गया !
In English : Raskhan ji says what to say about the night! There is nothing to say! Lord Shri Krishna did not come and took me in his lap and started doing a lot of arbitrariness with me. This filled my mind and body with joy.
-12-
प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम !
लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !!
अर्थ : रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए !
In English : Raskhan came to Shri Krishna’s Leela Dham, Vrindavan and settled Radhakrishna in his heart and mind and was immersed in his love bliss.
-13-
प्रेम हरि को रूप है त्यों हरि प्रेमस्वरूप !
एक होई है यो लसे ज्यो सूरज औ धुप !!
अर्थ : रसखान जी श्री कृष्ण के परम भक्त थे ! वे प्रेम को हरि का रूप मानते है और भगवान को साक्षात् प्रेम स्वरूप मानते है ! प्रेम और परमात्मा में कोई अंतर नहीं होता है जैसे की सूर्य एवं धुप एक ही है उनमे कोई अंतर नहीं होता है !
In English : Raskhan ji was a great devotee of Shri Krishna. They consider love as the form of Hari and consider God to be the form of real love. There is no difference between love and God, as the sun and the sun are one, there is no difference between them.
-14-
ए सजनी लीनो लला लह्यो नन्द के गेह !
चितयो मृदु मुसिकाई के हरि सबे सुधि गेह !!
अर्थ : इस दोहे में रसखान जी वर्णन करते है कि हे प्रिय सजनी श्याम लला के दर्शन का विशेष लाभ है ! जब हम नन्द के घर जाते है तो वे हमें मंद मुस्कान से देखते है और हम सबकी सुधबुध लेते है ! अर्थार्त उनके घर जाने से हमारी सारी परेशानियों का हल निकल जाता है !
In English : In this couplet, Raskhan ji describes that there is a special benefit of having darshan of dear Sajni Shyam Lalla! When we go to Nand’s house, he looks at us with a soft smile and takes care of all of us! That is, going to his house solves all our problems.
-15-
सो शिंगार वा चित्र में हतो ,
तैसोई वस्त्र आभूषन अपने श्रीहस्त में धारण किये !
गाय ग्वाल सखा सब साथ ले के आप पधारे !!
अर्थ : इस दोहे में रसखान जी कहते है कि चित्र में जैसा श्रृंगार था ठीक उसी प्रकार का श्रृंगार करके श्री कृष्ण पीताम्बर रूप में अपने ग्वाल बाल गोपो के साथ वे रसखान से मिलने पहुँच जाते है जहाँ रसखान बैठकर कृष्ण के प्रेम में आंसू बहा रहे थे !
In English : In this couplet, Raskhan ji says that after doing the same type of makeup as was in the picture, Shri Krishna in the form of Pitambar, along with his cowherd hair gopo, reaches Raskhan, where Raskhan was sitting and shedding tears in Krishna’s love.
-16-
तब बा वैष्णवन की पाग में श्री नाथ जी का चित्र हते !
सो काठी के रसखान को दिखायो !
तब चित्र देखते ही रसखान का मन फिरि गयो !!
अर्थ : रसखान जी कहते है कि उन वेष्णवो के हाथो में जो श्री कृष्ण का चित्र था उसे निकालकर जब उन्होंने रसखान को दिखाया तो उस चित्र को देखते ही उनका मन और ह्रदय परिवर्तित हो गया और वर संसार से विमुख होकर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए !
In English : Raskhan ji says that after taking out the picture of Shri Krishna in the hands of those Vaishnavas, when they showed it to Raskhan, their mind and heart changed on seeing that picture and the groom turned away from the world and got absorbed in the devotion of Lord Shri Krishna. went .
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