M Visvesvaraya Biography in Hindi | एम. विश्वेश्वरैया की जीवनी

M Visvesvaraya Biography in Hindi | एम. विश्वेश्वरैया की जीवनी

भारतीय सभ्यता का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली रहा है और भारतीय संस्कृति विश्व मे अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है ! इस देश मे समय – समय पर ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ है ! जिन्होने विभिन्न क्षेत्रो मे निपुणता प्राप्त करने के उपरांत अपने समस्त जीवन को देश सेवा मे समर्पित कर दिया ! आज हम बात कर रहे है महान इंजीनियर भारतरत्न सर मोक्ष गुंडम  विश्वेश्वरैया की ! जिनका नाम बड़ी श्रद्धा व आदर के साथ स्मरण किया जाता है !आइये जानते है इनके जीवन परिचय के बारे में – M Visvesvaraya Biography in Hindi-

M Visvesvaraya Biography in Hindi | एम. विश्वेश्वरैया की जीवनी

जीवन परिचय ( Introduction )

विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर 1861 को तत्कालीन मैसूर राज्य के कोलार जिले के  मदनहल्ली गाँव मे हुआ था !विश्वेश्वरैया के पिता पांडे श्रीनिवास शास्त्री प्रतिष्ठित विद्वान ,धार्मिक लेकिन अत्यंत गरीब व साधारण व्यक्ति थे ! इस कारण गाँव की पढ़ाई के बाद विश्वेश्वरैया को आगे पढ़ाई के लिए बैंगलुरु जाना पड़ा !

शिक्षा ( Education )

विश्वश्वरैया के पास कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे , इस कारण वे बच्चो को ट्यूशन पढ़ाते थे ! तथा अपने मामा के घर मे भोजन करते थे ! कॉलेज के अंग्रेज़ प्रधानाचार्य चार्ल्स वाल्टर्स ने विश्वेश्वरैया की योग्यता ,प्रतिभा एवं कार्यकुशलता से प्रभावित होकर उनका प्रवेश पुना के साइन्स कॉलेज मे करवा दिया एवं छात्रवर्ती भी दिलवाई !

पढ़ाई पूरी होने के बाद विश्वेश्वरैया इसी कॉलेज मे नियुक्त हो गए ! बाद मे वे असाधारण योग्यता के कारण अधीक्षण अभियंता ( engineer ) बन गए ! अपनी योग्यता से वे पुना मे चीफ इंजीनियर के पद पर सीन होने वाले थे ,लेकिन अंग्रेज़ इंजीनियरो ने एक भारतीय को मुख्य अभियंता के पद पर आसीन करने का विरोध किया !

इसी कारण उन्हे मुख्य अभियंता नहीं बनाया गया ! इससे क्षुब्ध होकर उन्होने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया ! त्यागपत्र देने के बाद वे विदेश की यात्रा पर निकल गए !

उपलब्धिया ( Achievements )

विदेश यात्रा के दौरान निजाम हैदराबाद ने रियासत मे आयी भीषण बाढ़ की समस्याओ को हल करने के लिए विश्वेश्वरैया को बुला लिया ! उन्होने मुंशी व सहायक नदियों पर बांध बनाकर वहा की बाढ़ की समस्या को स्थायी रूप से हल कर दिया !

हैदराबाद की बाढ़ की समस्या हल होते ही मैसूर के महाराजा ने उन्हे अपने यहा बुलाया तथा अनुरोध किया की वे अपनी जन्मभूमि को भी अपनी योग्यता से लाभ पहुचाए ! उन्हे राज्य का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया गया !

उन्होने सन 1912 मे कावेरी नदी पर कृष्णासागर बांध का निर्माण कर देश को हैरत मे डाल दिया ! बांध बनाने से पूर्व बड़े – बड़े अंग्रेज़ इंजीनियरो ने कहा था की यह बांध नहीं बनाया जा सकता है ! इस पर लगने वाले करोड़ो रुपए व्यर्थ जाएंगे !

इस प्रकार अनेक कठिनाइयो का सामना करते हुए उन्होने सन 1912 मे बांध को पूरा कर दिया ! उस समय यह विश्व के सबसे प्रतिष्ठित प्रोजेक्टो मे आता था ! उसकी असाधारण सफलता से टाटा इस्पात कारखाने के संचालक अत्यंत प्रभावित हुए और उन्हे टाटा इस्पात का निदेशक बना दिया ! वे 1927 से 1955 तक इस पद पर रहे !

कई विश्वविध्यालयों ने उन्हे अनेक उपाधियों से अलंकृत किया ! वर्ष 1958 मे उन्हे बंगाल की प्रमुख रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ने उन्हे दुर्गा प्रसाद खेतान स्वर्ण पदक से अलंकृत किया ! भारत की ब्रिटिश सरकार ने उन्हे सर की उपाधि से विभूषित किया !

राष्ट्रपति भवन मे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हे सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से अलंकृत किया !

सम्मान और पुरस्कार ( Awards )

1904 : लगातार 50 साल तक लन्दन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स की मानद सदस्यता !

1906: उनकी सेवाओं की मान्यता में “केसर-ए-हिंद ‘ की उपाधि!

1937: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा D. Litt से सम्मानित !

1943: इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (भारत) के आजीवन मानद सदस्य निर्वाचित !

1953: आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा D.Litt से सम्मानित !

1955: ‘भारत रत्न’ से सम्मानित !

1958: बंगाल की रॉयल एशियाटिक सोसायटी परिषद द्वारा ‘दुर्गा प्रसाद खेतान मेमोरियल गोल्ड

मेडल’ !

1959: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस द्वारा फैलोशिप !

मृत्यु ( Death )

भारत रत्न मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया ( एम. विश्वेश्वरैया ) ने अपना समुर्ण जीवन देश की सेवा मे समर्पित कर दिया ! तथा उन्होने ऐसे अनेक असाधारण कार्य किए जो की हर किसी के लिए करना आसान नहीं था ! ऐसे महान व्यक्ति का 101 वर्ष की उम्र मे 14 अप्रैल 1962 मे देहान्त हो गया !

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