मीरा बाई के पद और दोहे हिंदी अर्थ सहित – Meera Bai Ke Pad In Hindi

मीरा बाई के पद और दोहे हिंदी अर्थ सहित – Meera Bai Ke Pad In Hindi

Meera Bai Ke Pad In Hindi  – मीराबाई को लोग भगवान श्री कृष्ण की परम शाधक और अनन्य भक्त के रूप में जाना जाता है ! मीरा बाई भगवान कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानती थी ! इसलिए उन्होंने अपना सारा जीवन कृष्ण की भक्ति में लगा दिया था ! मीराबाई ने श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होते हुए कई प्रकार के पद और दोहों की रचना की है ! आज की इस पोस्ट में हम उनकी कुछ प्रमुख पद और दोहे को आपके साथ साझा कर रहे है ! तो आइये शुरू करते है Meera Bai Ke Dohe In Hindi

मीरा बाई के पद और दोहे हिंदी अर्थ सहित – Meera Bai Ke Pad In Hindi

-1-

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई !

जेक सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई !!

अर्थ : इस दोहे के माध्यम से श्री कृष्ण की परम भक्त मीरा बाई ने कहा है कि मेरे तो एकमात्र श्री कृष्ण ही है जिसने पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर गिरधर नाम पाया है ! इसके अलावा में किसी को अपना नहीं मानती ! मीरा बाई ने कहाँ है कि जिसके सिर पर मोर का पंख मुकुट है वही मेरे पति है !

In English : Through this couplet, Meera Bai, the supreme devotee of Shri Krishna, has said that Shri Krishna is the only one who has got the name Girdhar by lifting the mountain on his finger. Apart from this, do not consider anyone as your own! Where is Meera Bai that the one who has a peacock feather crown on her head is my husband.

-2-

मन रे परसी हरी के चरण !

सुभाग शीतल कमल कोमल !!

त्रिविध ज्वालाहरण !

जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण !!

जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण !

जिन चरण प्रभु परसी लीन्हे करी गौतम करण !!

जिन चरण फनी नाग नाथ्यो गोप लीला करण !

जिन चरण गोबर्धन धर्यो गर्व माधव हरण !!

दासी मीरा लाल गिरीधर आगम तारण तारण !

मीरा मगन भाई !!

लिसतें तो मीरा मगनभाई !

अर्थ : इस दोहे में संत मीरा बाई कहती है कि उनका मन हमेशा श्री कृष्ण के चरणों में लीन रहता है ! ऐसे कृष्ण जिनका मन शीतल है ! जिनके चरणों में ध्रुव है ! जिनके चरणों में पूरा ब्रह्माण्ड है , पृथ्वी है और जिनके चरणों में शेषनाग है ! जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली से उठा लिया था ! इस दासी मीरा का मन उसी हरि चरणों में , उनकी लीलाओं में लगा हुआ है !

In English : In this couplet, Saint Meera Bai says that her mind is always absorbed in the feet of Shri Krishna. Such Krishna whose mind is cool! At whose feet is the pole! At whose feet is the whole universe, the earth and at whose feet is the Sheshnag! The one who lifted the Govardhan mountain with his finger. The mind of this maid Meera is engaged in the same Hari feet, in his pastimes.

-3-

मतवारो बादल आयें रे !

हरी को संदेसों कछु न लायें रे !!

दादुर मोर पापीहा बोले !

कोएल सबद सुनावे रे !!

काली अंधियारी बिजली चमके !

बिरहिना अती दर्पाये रे !!

मन रे परसी हरी के चरण !

लिसतें तो मन रे परसी हरी के चरण !!

अर्थ : मीरा बाई इस दोहे में अपने प्रियतम श्री कृष्ण के सम्बन्ध में कहती है कि बदल गरज कर आ रहे है लेकिन हरी का कोई संदेशा नहीं लाये ! वर्षा ऋतू में मोर ने भी पंख फैला लिए है और कोयल भी मधुर आवाज में गा रही है ! काले बादलो की अंधियारी में बिजली की आवाज से कलेजा रोने को है ! यह विरह की आग को बढ़ा रहा है ! मन बस हरी के दर्शन को प्यासा है !

In English : Meera Bai says in relation to her beloved Shri Krishna in this couplet that thunder is coming but does not bring any message of Hari! In the rainy season, the peacock has spread its wings and the cuckoo is also singing in a melodious voice! The heart is crying because of the sound of lightning in the darkness of dark clouds. This is fueling the fire of hatred! The mind is just thirsty for the sight of Hari.

-4-

भज मन! चरण-कँवल अविनाशी !

जेताई दीसै धरनि गगन विच, तेता सब उठ जासी !!

इस देहि का गरब ना करणा, माटी में मिल जासी !!

यों संसार चहर की बाजी, साझ पड्या उठ जासी !!

कहा भयो हैं भगवा पहरया, घर तज भये सन्यासी !

जोगी होई जुगति नहि जांनि, उलटी जन्म फिर आसी !!

अरज करू अबला कर जोरे, स्याम! तुम्हारी दासी !

मीराँ के प्रभु गिरधर नागर! काटो जम की फांसी !!

अर्थ : इस दोहे में मीरा बाई अपने मन से कहती है कि हे मन तू कभी नष्ट न होने वाले भगवान के चरणों में ध्यान धरा कर ! तुझे इस धरती और आसमान के बीच जो कुछ दिखाई दे रहा है इसका अंत एक दिन निश्चित है ! यह तुम्हारा जो शरीर है उस पर बेकार में ही घमंड कर रहे हो , यह भी एक दिन मिट्टी के साथ मिल जायेगा !

यह संसार चोसर के खेल की तरह है , बाजी शाम को ख़त्म हो जाती है ! ठीक उसी प्रकार यह संसार भी नष्ट होने वाला है ! भगवान को प्राप्त करने के लिए भगवा वस्त्र धारण करना काफी नहीं है !

इसके अलावा इस पद में मीरा बाई ने यह भी बताने की कोशिश की है कि सन्यासी बनने से न ईश्वर मिलता है , न जीवन मरण के इस चक्कर से मुक्ति मिल पाती है ! इसलिए अगर ईश्वर को प्राप्त करने की युक्ति नहीं अपनाई तो इस संसार में फिर से जन्म लेना पड़ेगा ! वही मीरा बाई ने अपने प्रियतम श्री कृष्ण से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहाँ है कि मै तुम्हारी दासी हूँ , कृपया मुझे अपने जन्म – मरण के चक्र से मुक्ति दिलवाओ !

In English : In this couplet, Meera Bai says from her heart that O mind, you should meditate at the feet of God who will never be destroyed! Whatever you see between this earth and the sky, its end is certain one day! You are unnecessarily proud of your body, this too will be mixed with the soil one day!

This world is like a game of choicer, the bet ends in the evening! In the same way, this world is also going to be destroyed! Wearing saffron clothes is not enough to attain God.

Apart from this, Meera Bai has also tried to tell in this verse that by becoming a sannyasi neither one attains God, nor does one get freedom from this cycle of life and death. Therefore, if you do not adopt the method of attaining God, then you will have to take birth again in this world. Where is Meera Bai pleading with folded hands to her beloved Shri Krishna that I am your maidservant, please free me from the cycle of my birth and death.

-5-

तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई !

छाड़ि दई कुलकि कानि कहा करिहै कोई !!

अर्थ : संत मीराबाई जी कहती है कि मेरे तो इस दुनियां में न तो माता – पिता है और ना ही कोई भाई है लेकिन मेरे गिरधर गोपाल है अर्थार्त मीराबाई ने श्री कृष्ण को ही अपना सर्वस्व माना है !

In English : Saint Mirabai ji says that I have neither parents nor any brother in this world, but my Girdhar is Gopal, that is, Meerabai has considered Shri Krishna as her everything.

-6-

मै म्हारो सुपनमा पर्नारे दीनानाथ !

छप्पन कोटा जाना पधराया दूल्हो श्री बृजनाथ !!

सुपनमा तोरण बंध्या री सुपनमा गया हाथ !

सुपनमा म्हारे परण गया पाया अचल सुहाग !!

मीरा रो गिरीधर नी प्यारी पूरब जनम रो हाड !

मतवारो बादल आयो रे !!

लिसतें तो मतवारो बादल आयो रे !

अर्थ : इस दोहे में मीराबाई कहती है कि उनके सपने में श्री कृष्ण दुल्हे राजा बनकर पधारे ! सपने में तोरण बंधा था जिसे हाथो से तोडा दीनानाथ ने ! सपने में मीरा ने कृष्ण के पैर छुए और सुहागन बनी !

In English : In this couplet, Mirabai says that in her dream, Shri Krishna would come as a bridegroom king. The pylon was tied in the dream, which Dinanath broke with his hands! In the dream, Meera touched Krishna’s feet and became happy.

-7-

राह तके मेरे नैन !

अब तो दरस देदो कुञ्ज बिहारी !

मनवा हैं बैचेन !!

नेह की डोरी तुम संग जोरी !

हमसे तो नहीं जावेगी तोड़ी !!

हे मुरली धर कृष्ण मुरारी !

तनिक ना आवे चैन !!

राह तके मेरे नैन !

मै म्हारों सुपनमा !!

लिसतें तो मै म्हारों सुपनमा !

अर्थ : इस दोहे में मीरा बाई अपने आराध्य से विनती कर रही है कि हे कृष्ण ! मै दिन – रात तुम्हारी राह देख रही हूँ ! मेरी आंखे तुम्हे देखने के लिए बेचेन है ! मेरे मन को भी तुम्हारे दर्शन करने की ललक है ! मैंने अपने नैन केवल तुमसे मिलाये है अब ये मिलन टूट नहीं पायेगा ! तुम आकर दर्शन दे जाओ , तब ही मुझे चैन मिलेगा !

In English : In this couplet, Meera Bai is pleading with her adoration that O Krishna! I am looking for you day and night! My eyes are tired to see you! My heart also yearns to see you! I have only introduced my Nain to you, now this union will not be broken! You come and give me darshan, then only I will get peace.

-8-

दरस बिनु दुखण लागे नैन !

जब के तुम बिछुरे प्रभु मोरे कबहूँ न पायों चैन !!

सबद सुनत मेरी छतियाँ काँपे मीठे-मीठे बैन !

बिरह कथा कांसुं कहूँ सजनी, बह गईं करवत ऐन !!

कल परत पल हरि मग जोंवत भई छमासी रेण !

मीराँ के प्रभु कबरे मिलोगे, दुःख मेटण सुख देण !!

अर्थ : इस दोहे के माध्यम से मीरा बाई कहती है कि हे मेरे प्रभु आपके दर्शन बहुत दिनों से नहीं हुए है इसलिए आपके दर्शन के लिए मेरी आंखे दुःख रही है ! उनमे दर्द होने लगा है ! जब से आप मुझसे अलग हुए है , मेने कभी चैन नहीं पाया है ! जब भी मुझे कोई आवाज सुनाई देती है तो ऐसा लगा है जैसे आप आ रहे हो ! आपके दर्शन के लिए मेरा ह्रदय अधीर हो उठा है ! मुख से मीठे वचन निकलने लगते है ! पीड़ा में कडवे शब्द तो होते ही नहीं है !

मीरा आगे कहती है कि मुझे अपने श्याम से मिलने की पीड़ा हो रही है , मै किसे अपनी विरह व्यथा सुनाऊ , वैसे भी ऐसा करने से कोई फायदा तो होने वाला है नहीं ! इतनी असहनीय पीड़ा हो रही है यदि काशी में करवट बदलू तो भी यह कष्ट कम नहीं होता ! पल – पल भगवान की प्रतीक्षा किये ही रहती हूँ ! उनकी प्रतीक्षा में यह समय भी बड़ा लगने लगा है ! एक रात 6 महीने के बराबर लगती है !

आखिर में मीरा कहती है , प्रभु जब आप आकर मिलोगे तभी मेरी यह पीड़ा दूर होगी ! आपके आने से ही सारा दुःख मिटेगा ! आप आकर मेरे इस दुःख को दूर कर दीजिये !

In English : Through this couplet, Meera Bai says that my Lord has not seen you for a long time, so my eyes are sad for your darshan. It’s starting to hurt! I have never been at peace since you left me! Whenever I hear a sound, it’s like you’re coming! My heart becomes impatient for your darshan! Sweet words start coming out of the mouth. There are no bitter words in pain.

Meera further says that I am feeling pain to meet my shyam, to whom should I tell my estrangement, anyway there is no benefit in doing so! There is so much unbearable pain that even if I change the direction in Kashi, this pain does not subside. I keep waiting for God moment by moment! Waiting for them this time is starting to seem too long! One night is equal to 6 months!

In the end Meera says, Lord, when you come and meet me, then only this pain of mine will go away! Your coming will end all sorrow! You come and take away this sorrow of mine.

-9-

बरसै बदरिया सावन की

सावन की मन भावन की !

सावन में उमग्यो मेरो मनवा

भनक सुनी हरि आवन की !!

उमड घुमड चहुं दिससे आयो,

दामण दमके झर लावन की !

नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै,

सीतल पवन सोहावन की !!

मीरां के प्रभु गिरधर नागर,

आनन्द मंगल गावन की !!

अर्थ : मीरा बाई कहती है कि मन को लुभाने वाली सावन की ऋतू आ गई है और बादल बरसने लगे है ! मेरा ह्रदय उमंग से भर उठा है ! हरि के आने की सम्भावना जाग उठी है ! मेघ चारो दिशाओ में घुमड़ रहे है , बिजली आकाश में चमक रही है और नन्ही बूंदों की झड़ी लग गई है ! ठंडी हवा मन को सुहाती हुई बह रही है ! मीरा के प्रभु तो गिरधर नागर है सखि आओ उनका मंगल गान करे !

In English : Meera Bai says that the tempting season of Sawan has arrived and the clouds have started raining! My heart is filled with excitement! The possibility of Hari’s arrival has awakened! The clouds are moving in all directions, lightning is shining in the sky and there is a flurry of tiny drops. The cool wind is blowing pleasantly to the mind! The lord of Meera is Girdhar Nagar, friends, come sing his auspicious song.

-10-

माई री! मै तो लियो गोविन्दो मोल !

कोई कहे चान, कोई कहे चौड़े, लियो री बजता ढोल !!

कोई कहै मुन्हंगो, कोई कहे सुहंगो, लियो री तराजू रे तोल !

कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो, लियो री आख्या खोल !!

याही कुं सब जग जानत हैं, रियो री अमोलक मोल !

मीराँ कुं प्रभु दरसन दीज्यो, पूरब जन्म का कोल !!

अर्थ : इस दोहे में मीरा बाई अपनी सखि से कहती है – माई मेने श्री कृष्ण को मोल ले लिया है ! कोई कहता है अपने प्रियतम को चुपचाप बिना किसी को बताये पा लिया है ! मै तो ढोल बजाकर कहती हूँ बिना छिपाव के सभी के सामने लिया है !

कोई कहता है तुमने सौदा महंगा लिया है तो कोई कहता है सस्ता लिया है ! अरे सखि मेने तो तराजू से तोलकर गुण अवगुण देखकर मोल लिया है ! कोई काला कहता है तो कोई गोरा मगर मेने तो अपनी आंखे खोलकर और सोच समझकर कान्हा को ख़रीदा है !

मीरा बाई आगे कहती है कि मुझे श्री कृष्ण को पाने के लिए कठिन जप करना पड़ा ! मेरे लिए मेरे भगवान बहुमूल्य वस्तु है जिसकी कोई कीमत नहीं है ! लोग बस इतना ही जानते है कि मेने कृष्ण को गोद लिया है ! मीरा कहती है हे प्रभु मुझे दर्शन दीजिये ! मुझे दर्शन देने के लिए आपने पुनर्जन्म लेने का वादा कर रखा है ! अब आप अपने वचन को निभाइए !

In English : In this couplet, Meera Bai says to her friend – I have bought Shri Krishna! Some say that they have found their beloved silently without informing anyone. I say by playing the drum, I have taken it in front of everyone without hiding.

Some say that you have taken the deal expensive, then some say that you have taken it cheap! Oh friend, I have bought the merits and demerits by weighing them with the scales! Some say black, some white, but I have bought Kanha by opening my eyes and thinking carefully.

Meera Bai further says that I had to chant hard to get Shri Krishna! For me my God is a precious thing which has no value! People only know that I have adopted Krishna. Meera says oh Lord give me darshan! You have promised to take rebirth to see me! Now keep your word.

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