संत तुकाराम के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Sant Tukaram Ke Dohe In Hindi

संत तुकाराम के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Sant Tukaram Ke Dohe In Hindi

संत तुकाराम जी महाराष्ट्र के पुणे के देहु गाँव के एक छोटे कारोबारी के यहाँ 17 वी सदी में जन्म लिया था ! संत तुकाराम जी भगवान विट्ठल , जिसे विष्णु का अवतार माना जाता है के परम भक्त थे ! उन्होंने ही महाराष्ट्र में लोगो में भक्ति की नीव डाली थी ! तुकाराम जी ने अपने जीवन में दो विवाह किये थे ! उनकी पहली पत्नी रखुमाबाई थी जो किसी बीमारी के चलते जल्दी स्वर्ग को प्यारी हो गई ! उनकी दूसरी पत्नी जीजाबाई थी ! इसके अलावा उनकी तीन संताने भी हुई थी ! संत तुकाराम जी ने अपने जीवन में कई काव्य और साहित्यों की रचना की ! वे महान संत और कवि के रूप में प्रसिद्द थे ! आज की इस पोस्ट में हम संत तुकाराम जी के कुछ दोहे हिंदी अर्थ सहित वर्णन कर रहे है ! तो आइये शुरू करते है Sant Tukaram Ke Dohe In Hindi with Meaning

संत तुकाराम के दोहे | Sant Tukaram Ke Dohe In Hindi


-1-

बार-बार काहे मरत अभागी , बहुरि मरन से क्या तोरे भागी !
ये ही तन करते क्या ना होय , भजन भगति करे वैकुण्ठ जाए !!

अर्थ : इस दोहे में संत तुकाराम जी कहते है कि हे मनुष्य तुम बार – बार क्यों मरना चाहते हो ! क्या इस बंधन से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं है ! अरे भई ये शरीर बड़ा ही अद्भुत है , इससे क्या नहीं हो सकता ! आप भगवान की भक्ति करके ईश्वर के बैकुंठ धाम को प्राप्त कर सकते हो !


-2-

राम नाम मोल नहिं बेचे कवरि, वो हि सब माया छुरावत !
कहे तुका मनसु मिल राखो , राम रस जिव्हा नित्य चाखो !!

अर्थ : इस दोहे में संत तुकाराम जी कहते है कि हमें राम नाम लेने के लिए कोडी भी खर्च नहीं करनी पड़ती है ! यह राम नाम की शक्ति ही हमें प्रपंच की माया से मुक्ति दिला सकती है ! तुकाराम जी आगे कहते है कि जब हम पुरे मन से राम नाम में तल्लीन होते है तभी हमारी जिव्हा से निकलने वाला राम नाम रूपी अमृत रस हमें नित्य तृप्ति दिला देगा !


-3-

तुका बस्तर बिचारा क्यों करे रे , अंतर भगवा न होय !

भीतर मेला केव मिटे रे , मरे ऊपर धोय !!

अर्थ : संत तुकाराम जी कहते है कि बेचारे वस्त्र को बार – बार धोने से अंतःकरण शुद्ध नहीं होता है ! अपने आन्तरिक मेल को कब मिटाओगे , केवल बाहरी सफाई करने से बचाव नहीं होगा !


-4-

कहे तुका जग भुला रे , कह्या न मानत कोय !

हात परे जब कालके , मारत फोरत डोय !!

अर्थ : तुकाराम जी इस दोहे में मनुष्यों को कहते है कि इस मायावी संसार को भुला दो , लेकिन कोई भी हमारी बात मानता ही नहीं है ! जब काल निकट आता है तो हाथ – पैर मारने से कुछ नहीं होता !


-5-

चित मिले तो सब मिले , नहीं तो फुकट संग !

पानी पाथर येक ही ठोर , कोरनभिगे अंग !!

अर्थ : संत तुकाराम जी कहते है कि जब तक मन से मन का मिलन न हो तब तक सम्बन्ध कोरा है ! जैसे की पानी पत्थर को केवल बाहर से छूता है , अंदर तक नहीं भिगोता !


-6-

कहे तुका भला भया , हूँ हुवा  संतन का दास !

क्या जानू केते भरता , जो न मिटती मंकी आस !!

अर्थ : संत तुकाराम जी कहते है कि उनका भला हुआ जिनको साधू की संगती मिली ! नहीं तो बिना मन के उद्दार होने की as में ही मर जाता !

दोस्तों उम्मीद करता हूँ Sant Tukaram Ke Dohe In Hindi आपको जरुर अच्छे लगे होंगे ! हमें कमेंट करके जरुर बताये ! thanks

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